गलती ये नही थी मेरा की मैंने प्यार किया,,
हाँ मगर ये जरूर था की तुमसे किया ..!!-
दिल ने तो कहा था चंद पल और रोक लू उन्हें,,
और कही जाने न दू,,
पर कमबख्त मेरे लफ्जों को ये बात रास न आई..!!
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उसके सादे हुस्न केे आगे,,
चाँद भी मांगे माफी है..!!
उससे इश्क़ करने केे लिए,,
एक लम्हा भी काफी है..!!-
मज़बूर करता है,,
उससे इश्क़ करने को..!!
क्यों उसके इश्क़ में
उसके बातों और ख़यालातो में,,
बस मैं और हाँ बस मैं होती हूँ..!!
क्यों वो मेरे बातों में मेरे ख्वाबों में
मेरे सवालों में मेरे जज़्बातों में होता है..!!
आखिर क्यों......???
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शाम थी नजाकत भरी,,
शर्माना लाज़मी था.!!
अर्जिया थी हिमाकत भरी,,
इठलाना लाज़मी था.!!
फिजाएं थी रुमानियत भरी,,
बहक जाना लाज़मी था ..!!
गुफ्तगू थी मोहब्बत भरी,,
फितूर छाना लाज़मी था..!!-
ये वो दौड़ है जहाँ,,
सबकुछ बिकता है..!!
यहाँ सच केे आगे,,
झूठ बिकता है..!!
जिस्म केे चाहत में,,
प्यार बिकता है..!!
यहाँ चंद पैसों के आगे,,
अच्छे अच्छों का ईमान बिकता है..!!
दोस्ती केे नाम पे,,
दिल- ए-ईमान बिकता है..!!
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ये उनकी,,
मोहब्बत की नशा ही है..!!
जो मुझपे हर लम्हा हर पल,,
बस चढ़ता ही जाता है..!!-
फना न हो जाऊ,,कही तुम्हारी उलफत में...
इस बात से एहतियात,,मैं तुम्हे कर देना चाहती हूँ..!!
गर्दिश में मैं हूँ अभी,,लेकिन ख्वाब तेरे कभी खत्म न होंगे...
इतना तो तू जान ले,,फिर से इंतज़ार करुँगी..!!
मैं उन खूबसूरत से पलो का,,जब तुम और हम लाज़मी से होंगे...
एक दूजे केे लिए,,मुकम्मल हो जायेगे मेरे भी अरमा उस दिन..!!
जब तुम और मैं लाज़मी से होंगे,,एक दूजे के लिए..!!
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हाँ मैं उड़ना चाहती थी,,खुले आसमान में..!!
पर मेरे पाँव में बिठुआ और हाथों में चुड़िया पहना दि गयी,,
कभी संभाला करती थी,,इन हाथों में कॉपी और कलम..!!
अब इन हाथों में,,बेलन और घर संभालने को पकड़ा दिए गये..!!-
धुंधली- धुंधली सी,,
जो कभी देखा करती थी ख्वाब मैं..!!
सच अब वो कहानी हो गयी,,
कभी जिसको पास से महसूस नही किया था,,
अब वो रूहानी हो गयी..!!
यकीन न था की,,
कभी इतना चाहेगा किसी को ये दिल मेरा..!!
पर अब तो वो मेरी ज़िंदगी की,,
खूबसूरत कहानी हो गयी..!!-