दफ़न हो गए वो लम्हे भी उसी ज़माने में
हम निकल पड़े जाने क्या क्या कमाने में
छोटा-सा वो अरसा ही था उम्र-भर का सुकून
बाकी तो वक्त बीता...बस आने-जाने में
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अभी छूके गुज़रा तेरी यादों का झोंका
अभी बेख़याली में फ़िर तुझको सोचा
जाने क्यों सुकून है तेरे इंतज़ार में इतना
तू आए ना आए ... अब ये तुझपे छोड़ा-
हैं लहरें तो वाकिफ़ बदलती-बिगड़ती हवा से
ना संभलना ज़रूरी ना मचलना है मुश्किल
है उलझन में मांझी बचानी तो है कश्ती
पतवारों का ही सहारा और चलाना है मुश्किल-
बीत गई जो बात उसे क़्यूँ बार-बार याद करना
बेवफा हो जब तक़दीर तो फ़िर किससे हिसाब करना-
कभी भीगा कभी धूमिल तेरी यादों का समां
कभी उठता कभी छँटता घने कोहरे-सा धुँआ
मिले अधूरे-से कुछ लम्हे कभी हल्की-सी झलक
आँखों को बस इक पूरा-सा नज़ारा मयस्सर न हुआ-
माँ....
आप हो तो किसी और चीज़ की ज़रूरत क्या है
आप नहीं तो फ़िर किसी चीज़ की कीमत क्या है
Happy Mother's Day
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...तब हर बड़ी मुश्किल छोटी लगती थी
अब मुश्किलें छोटी हो गईं..पर हमारा एक साथ हो पाना बड़ी बात हो गई-