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" बड़ा नाजुक सा है नगर मेरा
दरिया के किनारे है बशर मेरा
बस एक तूफ़ान आई सब कुछ उड़ा ले गई
अब याद नहीं कैसा था घर मेरा
एक उसकी तस्वीर जो दरख्तो पे टंगी थी
सचमुच बहुत बड़ा था दिलबर मेरा
बस इतनी सी खाता , ' जा ' कहा मैंने
फिर बर्बाद हो गया पूरा सहर मेरा "-
\\ दिल में किसी को रखा नहीं है हमने।
यह बात सबको बतानी पड़ती हैं ,
मैं तुझसे इश्क करता हूं मसर्रत हाल है ऐसा
नजर मिला के ही नजर छुपानी पड़ती है \\-
क्या कर गुजरने को दिल करता है
ईश्क मे मरने को दिल करता है
अगर थोड़ी सी चाहत तुम्हे भी हो तो
फिर तुमसे मिलने को दिल करता हैं
यूं तो बस बहाना है दोस्ती का
बस दोस्ती में ये कौन करता है-
मेरी सांसों की जरूरत को समझो तो लौट आना मेरे पास ,
मेरे दिल की बेकरारी को समझो तो लौट आना मेरे पास
ख्वाबों में मेरे संग आओ न आओ चलेगा ,
बस , हकीक़त में मेरा घर बसाना हो तो लौट आना मेरे पास-
कुछ अश्कों की मुलाकाते थीं
कुछ दर्द और रंज की बाते थी
फिर भी मैं , संग उसके होता था
दिन रात उसमे ही खोता था .
अब रहने दीजिए इन बातों को
इन बातों से क्या ताल्लुक रखना
अब वह जो मुझको भूल गई
फिर अच्छा होगा उसको भूलना ।-
बड़ी अजीब शक्स हो , बहोत शिकायत करते हो ।।
रिवायत वाली बातो पे तुम अदावत करते हो
नाराजगी का मंजर कुछ यूं दिखा रहे हो ,
नज़र के पास होकर भी नजर नही आ रहे हो
बहोत अजीब शक्स हो , बड़ी शिकायत करते हो ।।-