अक्सर ऐसा होता है
के ना चाहतें बदलती हैं ना भावनाएं
बस...प्राथमिकताएं बदल जाती हैं।-
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हां अहम होता है ज़िक्र ख़ुद का उनके लफ़्ज़ों में
पर हमेशा नज़दीकियां ज़ुबां की मोहताज नहीं होती-
ہماری بولیاں اردو اور ہندی
جیسے،
ہندوستانی ثقافت کے ماتھے کی بندی۔
हमारी बोलियाँ उर्दू और हिंदी,
जैसे,
हिंदुस्तानी सक़ाफ़त के माथे की बिंदी-
उम्र बर्बाद हुई ख़्वाहिश में
उस इक पल को जीने की
जो होनी न थी मयस्सर कभी-
ایک نیا سال...
کچھ خاص نہیں
بس ایک عام 'نیا' دن
بس ایک عام 'نءی' صبح
باقی'عام' دنوں کی طرح
چونکہ
ہر 'عام' دن ایک نیا آغاز ہے
ہر 'صبح' ایک نءی شروعات ہے
نءے سال میں کچھ خاص نہیں
کیوںکہ
ماضی ہمیشہ ایک 'خاص'
لمحۂ موجود لاتا ہے...-
काँटे बिछाएंगे राहों में जब आगे कदम बढ़ाओगे तुम
फूल लिए आएँगे लोग, जिस दिन मर जाओगे तुम-
वो बन्द ज़िन्दगी का दरवाज़ा
उसकी झिर्रियों से छन कर आती रोशनी
उस रोशनी से आती उम्मीद
दरवाज़े की ओर बढ़ते हाथ
और उस तरफ उठता एक क़दम
काफी है फिर से
एक नई शुरुआत करने के लिए
और ज़िंदादिली से ज़िन्दगी जीने के लिये
-
क्यूँ है ये बिन बात ख्यालों में विचरना
यूँ रातों को बेवजह रो कर गुजारना
कोई पूछे किस बात की कमी है तुम्हें
सब तो है तुम्हारे पास,
फिर क्यूँ यूँ अकुलाते हो
किस बात पर टेसुए बहाते हो
क्या बताओगे उन्हें?
Rest in caption...-
क्या तुमको कुछ याद नहीं
मिलते जब पलकें झुकती थीं
वैसी अब मुलाक़ात नहीं
कभी नजरों से था हाल बयाँ
अब नजरों में वो बात नहीं
अश्क़ों में जो खुशी होती थी
ठहाकों में भी वो बात नहीं
बिन कहे जो कभी बातें होती थीं
अब इज़हार में भी वो बात नहीं
जो मजा है इश्क़ में फ़ना होने का
तन्हा जीने में वो बात नहीं...-