खामोशी के बीच मुझे आज गुण गुनने का मन है
हिंदी मुसलमान के बीच मुझे कबीर के दोहे बन जाने का मन है
एलईडी की ठंडी रोशनी के बीच मुझे बल्ब सा जल जाने का मन है
स्टैंडअप कॉमेडी के बीच मुझे चाची ४२० सा हंसाने का मन है
पल भर मे गुजर जाने वाले सालों के बीच मुझे थम जाने का मन है-
गुलाब की महक अब अच्छी लगने लगी है
किसी और की सांसों से धड़कन धड़कने लगी है
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जादा कुछ खास तो नहीं बस प्यार हुआ है
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मगर
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सबसे खास तो यही है की प्यार हुआ है-
काम जितने भी बाकी है
में कर लूंगा वो सभी
पहले तुझे जीभर के देख लूं ।।
चांद तारों को भी लाया हूं
उन्हें उनकी औकात दिखाने
पहले तुझे जीभर के देख लूं ।।
बातें कई है कहने को
कदम और भी है चलने को
पहले तुझे जीभर के देख लूं ।।
जानता हूं खुद को
तुझसे मन नहीं भरेगा मगर
पहले तुझे जीभर के देख लूं ।।-
तुझे देखते देखते सो जाऊं
उठते साथ तेरा चेहरा देखूं ।
पलख झपकूं तो तेरा चेहरा दिखे
आखों के सामने हर वक्त बस तू रहे ।
ना अंधेरा हो ना उजाला हो
मेरी आखों में हर पहर बस तेरा चेहरा हो ।।-
अब जन्नत नसीब नहीं है मुझे में जानता हूं
नर्क कबूल करूं ऐसा भी गुनाह नहीं किया में जानता हूं
भटकने दो मुझको खुले आकाश में ख्वाबों के संग
ख्वाब थे जो ख्वाब ही रहेंगे में जानता हूं-
माना थोड़ी अय्याशी मेरे चरित्र मे है
मगर जितनी भी है
बस तुम तक है-
ना जाने लोग उस चांद कि खूबसूरती कि दुहाई क्यों देते है
तुम्हरे नूर मे अजब सा नशा है अजब सा मजा है
उस चांद मे तो फिर भी दाग हैं-
मोहब्बत में उनके पन्नों पे पन्नों भर सकते है
बस "उनके" कि जगह के लिए कोई नाम मिल जाए-