ना हमने मारा ना दंगा उन्होंने किया,
पर देश को तबाह तो सबने किया,
बुरे हम नहीं बुरे वो भी नहीं,
देश को बुरा तो हम सबने बना दिया,
सड़कें रात को सुरक्षा को चीखें,
नुक्कड़ मुहल्ले शहर नदियाँ स्वच्छता को पुकारें,
हम महान तुम नीच तब भी हम दिन रात यही सोचें,
गाड़ी मोटर घर में चार,
देने को नहीं उन्हें आहार,
क्या कर दिया हमने देश का हाल,
मर गए जो वो कातिल,
चला गया समय जो वो गुनहगार,
आज हमारा देश की कर रहे हम हालत खराब,
शांत रहो मौन रहो बोलो ना कुछ बुरे को,
हम महान हम सुरक्षित रख लो संजो कर बस यही विचार,
हाँ बस फैला दो देश में अंधकार।।-
हम नहीं ठहर सके यह समय ही ठहर गया,
इन खट खट करती उंगलियों से मिनटों में लिखते खत के बीच,
इन दुनिया की दूरी पल में करने के बीच,
इन अफसानों तानों में बदलते लफ्ज़ों के बीच,
इस विराम वीरान कहानियों के बीच,
इस युद्ध मौन शांति चिंतन गहन टिप्पणियों के बीच,
मन तो ना रुका समय ही रुक गया।।
....🗣️-
हमें गर्व है आपकी सतर्कता पर,
आपके साहस पर,
आपके अचूक प्रहार पर,
मिसाल हो तुम मशाल की,
हर हालात में हर खतरे में हमारे अडिग ढाल हो तुम,
तुम केवल सेना नहीं हमारी शान हो तुम,
हर भारतीय का पहला ख्याल हो तुम।।-
कल तक तो वह बह रहा था,
मस्त मौला मस्त मगन हो झूल रहा था,
चिड़िया तोता मैना बंदर इंसान मित्र सब,
अपनों से नाते वो जोड़ रहा था,
क्या हुआ जो शांत हुआ,
खुद में ही खुद वो विलीन हुआ,
रास नहीं आई बहती हवा या,
स्वयं से ही स्वप्न लोक में वो हो लिया,
तरकश के तीर खत्म या,
नातों ने पीछे खींच लिया,
मौन तो जब हो गया तो,
हंसना ठहकना वीरान हुआ जब तो,
क्या कहीं ठहरना अब,
मौसम ही हर ओर हर रोज़ पतझड़ हुआ जब।।
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लोग होते कुछ और दिखाते कुछ और हैं,
लोग होते कुछ और दिखाते कुछ और हैं,
बेचारे बहाने ना बनाएं तो जाएं भी कहाँ ।।-
क्यों रोका मैंने तुम्हे,
क्यों रोकूं आगे,
क्यों ख्याल बेख्याली सी बेताब है,
क्यों सामने तुम हो पर नहीं हो,
शायद अब तुम नहीं हो,
शायद अब तुम अपने नहीं हो,
शायद अब वक्त अपना नहीं तुम्हारा है,
शायद अब हम नहीं मैं और तुम हैं,
शायद डोर का एक एक सिरा छोड़ दिया है तुमने,
शायद कहानी का किस्सा बनने का वक्त हो चुका है,
शायद अब तुम ज़िंदा हो चुके हो।।-
दूर चल गया वो वो देश, 🇮🇳
हुआ करता था जो सोने की चिड़िया, 🕊️
सुनहरा रंग था जिसका, ⭐
दाना कम था खाने को, 🌾
आशियाना बनाने में मशक्कत ज़्यादा थी, 🪺
पर पंख बराबरी के थे उसके, 🪶
नाज़ुकता ही खो गई उसकी कहीं, 😔
न जाने कब आसमान बंट गया उसका, 😞
त्योहारों की खुशियां बंट गईं, 💔
अस्तित्वता का प्रश्न बन गया, 👑
देश के बच बचाव का प्रश्न बन गया, 😈
खुशियां बांटना, 🙊
इंसान की इंसानियत बंट गई, 🫂
सड़कें पानी आसमान बंट गए।। 🕳️💢-
देश अंधकार में,
समाज अंधकार में,
मौन हैं सब,
नींद में सब,
ग्रस्त बढ़ते दामों से,
त्रस्त बढ़ते दंगों से,
सरदर्द की दवाई महंगी,
मज़ाक में कही बात महंगी,
सारा अपराध सस्ता,
खून हुआ सस्ता,
इंसान की कीमत मालूम नहीं,
इंसाफ कहाँ पता नहीं,
खौफ में सब,
धुंध में सब,
बढ़ोत्तरी सुरंग की ओर चली,
राजा की लीला यह कैसी आन पड़ी।।-
Blessings come in different forms,
A flaky breeze at 5 in the morning,
A dog showing gratitude to let him cross the road,
Plants waving for watering them,
A drop of tear left in other people's eyes,
Blessings do come in different forms,
In different ascents,
In different aspects.....-