Ananya Dubey   (Ananya dubey)
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Joined 30 November 2017


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Joined 30 November 2017
30 OCT 2023 AT 0:56

आ रही थी मंज़िल बड़े ज़माने के बाद
देख पा रही थी मैं ख़ुशियो की कलाकार
बदल रहा था मौसम और बरस रहे थे बदल
जब आया,वो पल ,जिसका बरसो से था इन्तज़ार,
कोई रोक नहीं रहा मुझे सब खुश थे शायद,
मेरे अंदर उस शक्स ने कहा अब होगाया यार चल लौट चले,
फिर हल्की से मिट्टी की खुस्बू ने याद दिलाई उस घर की ,
उस घर से याद आया ज़िमेदारी का एहसास ,
मैंने भी उस्स शक्स से कहा फिर अभी रुको अभी तो बहित कुछ करना है यार ।

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30 OCT 2023 AT 0:38

जहां तक जा सकती थी सोच जिसकी ,
वही तक पहचान पाए लोग हमे ,
हमने मंज़िल को अपना लिया,
तो कई लोग अपना ना पाए हमे ,
ख़ुदगर्ज़ का ख़िताब वही लोग देके कर गए ,
कुछ चंद दिन पहले जो हमारी खूबियों के गान गया करते थे ,
सब पन्ने अपनी ज़िंदगी की किताब के खोल कर रख दिया, वो फिर भी पढ़ ना पाए हमे ।

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9 DEC 2022 AT 0:49

माना कीं जैसी चाहते थे हम,
ये वैसीं ज़िंदगी नहीं है ,
कुछ ख्वैश अधूरी है तो कुछ लोग पीछे छूट गए,
ना जाने कब जीने के होड़ में हम जीना ही भूल गए।

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8 DEC 2022 AT 11:44


वो एक पैग़ाम,
मेरे दिल को तार तार कर गया,
मेरे जितने भी ख़्वाब थे उन्हें बर्बाद कर गया
बैठ गई मैं दिल पर हाथ रख कर ज़मीन पर,
एक शक्स ने मुझे इतना बेज़ान कर दिया।

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20 OCT 2022 AT 2:09

Who lost whom?
Let that time decide

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22 AUG 2022 AT 23:42

वो जज़्बा जो शुरुआत में था,
उसी जज़्बे के साथ चलना है ,
इस सफ़र को तुमको हर हाल में अब पूरा करना है ,
नाकामयाबियाँ मिलेगी इस सफ़र में तुम्हें , वज़िब सी बात है ,
कदम डगमगा सकते है ये भी एक आम बात हैं,
मगर तुम्हें खुद पर विश्वास करना होगा , डट कर खड़े रहना और हर परिस्थिति से लड़ना होगा।
तुम डर कर कही रुकना मत , तुम्हारा खुद का हौंसला ,और, ना हार मानलेने की ताक़त तुम्हारी आदत बन जाएगी ,
और यही आदत तुम्हें एक दिन तुम्हारी मंज़िल तक पहुँचाएगी ।

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19 AUG 2022 AT 12:08

Do it right now , or someone else will take the charge .

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2 AUG 2022 AT 2:23

What beholds in mind,
Reflects in action.

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23 JUL 2022 AT 0:59


मेरे ख़्वाब मेरी मंज़िल ,
और मेरी मेहनत ही मेरा एक लौता हथियार,
औरों से अब क्या ही हारेंगे हम ,
खुद से हैं इस बार ये जंग मेरी जान।

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23 JUL 2022 AT 0:43

एक ज़िंदगी है ,
उसमें कई लोग है,
कुछ लोग साथ रहते है
कुछ बिछड़ जाते है ,
अब मसला ये है ,
लोगों के आने जाने में ,हम कई बार खुद को पीछे छोड़ आते है,
और हम वो इंसान बन जाते है , जो हम है ही नहीं ,
पीछे मुड़ कर देखते है तो लगता है ,
आख़िर ऐसा क्या पाना था ज़िन्दगी से ,
की कुछ लोगों के कारण,
एक मासूमियत छोड़ आए हम अपनी।
अब ना तो वो लोग है और ना ही मासूमियत बची ।

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