Ananya Dubey   (ananya Dwivedi)
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किसी शायर की गजल
Joined 21 May 2019


किसी शायर की गजल
Joined 21 May 2019
8 MAY AT 16:08

लो छोड़ दिया अब तेरा शहर तेरी मौज मुबारक तुमको हो
नहीं लेना कोई भीख हमें , तेरी सोच मुबारक तुमको हो
जबतक मांगा तबतक मांगा , अब दे भी तो न लुंगी मैं
जा दिया तुम्हे हर आजादी , तेरा वक्त मुबारक तुमको हो ।
तेरे लिए कभी थी कहीं न मैं , हर शाम मुबारक तुमको हो
तुमको जो भाए तुम देखो , हर रात मुबारक तुमको हो ।
नहीं कोई रही अब तुमसे चाह, हर दाम मुबारक तुमको हो।
तुमको जो पसंद वो तुमको मिले , नया नाम मुबारक तुमको हो।
मैं थक सी गई हूं अब सबसे , तेरा काम मुबारक तुमको हो
नहीं रहूंगी अब वादा है ये , तेरा दाम मुबारक तुमको हो
कोई मांग नहीं है कुछ लेता , तेरा शब्द मुबारक तुमको हो
जो मिले कहीं फिर अब कहना , तेरा प्यार मुबारक तुमको हो।।
है अंत यहीं मेरी चाहत का , फरमान मुबारक तुमको हो
तुम जियो खुशी से खुद के लिए , अरमान मुबारक तुमको हो।
गुडबाय।।

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15 MAR AT 18:55

क्यों जाने बड़ी कमजोर हो गई हूं
लगता है जैसे खुद से दूर हो गई हूं
घर की आज याद भी बहुत आ रही है
जा नहीं पाती यूं मजबूर हो गई हूं

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15 MAR AT 18:10

कभी कभी एक सवाल खुद से होता है
कोई है कहां जो मेरे बिना अधूरा है

मेरी सांसों के चलने से कोई फर्क नहीं पड़ता
क्या कोई है जो उसके चलने से पूरा है ?

कोई खास नहीं हूं किसी के लिए
हूं बस इसीलिए हूं , किसी की जान नहीं
किसी की पहचान नहीं ,
रहूं न रहूं तो क्या होगा
नहीं किसी का जीवन तबाह होगा
बड़े दर्द में हूं , बड़े ग़म में हूं
नहीं तुम में हूं , नहीं हम में हूं
जीना कोई खुशी नहीं है
जहां नहीं हूं वहां हूं
और जहां हूं वहां नहीं हूं !
बड़ी पहेली है ज़िन्दगी
साली झमेली है ये ज़िन्दगी
जी रही हूं जाने किसके लिए
कोई हैं कहां जो मेरे लिए खड़ा है
मेरे दर्द का किसको कहां पड़ा है
ये जिन्दगी है तो मुझे इससे प्यार नहीं
अब किसी और की छोड़ो खुद पर ऐतबार नहीं ✍️

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14 MAR AT 0:37

आपका जाना🙂
आप गए कुछ खुशियां ले गए कुछ अपनापन ले गए

कुछ परवाह जो एकमात्र था !

वो छू कर देखना कहीं बुखार तो नहीं
वो पूछना कहीं मै बीमार तो नहीं
आप गए और ये सबकुछ गया
अब कितने बुखार आए और गए
न सिकन आया न पता चला
जो आप गए , ये सब गया
कुछ प्यार , और वो दस रुपया
जो कीमत के साथ भी नहीं बदले
पर वो सबसे कीमती रहा !
आप गए पर मुझे लेकर !
आपका जाना !🙂🙂🙂

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13 MAR AT 11:12

मेरे कहानी में कई किरदार थे
सब वफादार होने के दावेदार थे
बड़ी मासूम थी चालाकियां समझती नहीं थी
कभी अपने कुछ किस्से भी बेशुमार थे
धीरे धीरे आंधी का आभास हुआ
हर एक का चेहरा बेनकाब हुआ
कई लोग अपने होने के पहलदार थे
मेरे कहानी में कई किरदार थे !
कुछ दोस्ती कुछ मोहब्बत के तलबदार थे
कुछ खून के कुछ मुंहबोले रिश्तेदार थे
मीठी जुबान सबकी दिल किरायेदार थे
मेरे कहानी में कई किरदार थे !
ज़ख्म था ,मेरे मन भी बीमार थे
वो आए जैसे मेरे लिए पूरे वफादार थे
फिर धीरे धीरे सबने एहसास दिलाया
मै उनके लिए एक जरिया थी ,
और वो सब मेरे लिए मनसबदार थे
मेरा दर्द सबके लिए एक बहाना था
और वो सब मेरे लिए भगवान थे
क्या लिखूं कहानी अपनी कुछ खास नहीं
हम वहां चले जहां खुशियां नाराज़ थे !

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11 MAR AT 22:51

जाते हैं मुसाफ़िर, कौन करे
ग़मों को मुख़ातिब कौन करे?
लिखी अगर तो लिखती रहूंगी,
अब हर बात अपना जग- जाहिर कौन करे?

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11 MAR AT 22:45

वफ़ा की बात ना कर, ये दुनिया ज़ालिम है,
एक कृष्ण ही तो है, कहाँ कोई क़ाबिल है।
मंज़िल के आख़िरी पड़ाव पर खड़ी हूँ,
जहाँ से रास्ता मुश्किल है, लेकिन जज़्बा तालीम है।

जला के ख़ाक कर दो हर आने वाली रुकावटों को,
इस हँसी में दर्द के कई चेहरे शामिल हैं...

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11 MAR AT 22:40

चेहरों पर कई नक़ाब होते हैं,
दिल देखो, वो बेनक़ाब होते हैं।
कौन क्या है, ये कौन जानता है,
किसी के पन्नों में कई किताब होते हैं।

देखने वालों की नज़रों के मोहताज होते हैं,
कई राज़ अंदर दफन जनाब होते हैं।
मत कहो नक़ाब, ये तो आदत है इंसान की,
जिसे शराब कह दो, वो शबाब होते हैं।

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24 FEB AT 19:31

किसी के जीवन में घुसना क्या मत घुसो इतना एहसान करो
खुद बहुत झमेला जीवन में मत और कोई परेशान करो
अरे लड़की हूं तो पतंग नहीं की अपने हिसाब से खेलो तुम
मेरा विश्वास मेरे मां पापा , तुम दूर रहो मेहरबान करो
अरे नहीं रहा किसी रिश्ते में क्योंकि न कभी वो प्यार मिला
अब क्यों बेकार का मोह है ये , सम्मान बचाओ मान करो
हम खुश हैं अपने जीवन में अब ज्यादा न ताक झांक करो
बस इतना करो कि कुछ मत करो , आजादी का सम्मान करो
जो मुझको गलत करना होगा तुम रोक लोगे क्या बोलो तो
मैं नहीं उस सूची में शामिल हूं , तो न बेकार की बात करो
अगर प्यार है तो दिल से प्यार करो , न पीठ पीछे तुम वार करो
मै अब कोई बच्ची नहीं रही , तो अपने सोच का विस्तार करो
बड़ी छोटी बुद्धि पाई है , ये धरा तुम पर शरमाई है
क्या सोच है तेरा कृष्णा जाने , जाओ मुझपर उपकार करो
मै बहुत पवित्र हूं बहुत सरल , न मेरा रूप विकराल करो
अगर करना है एक काम करो , अपने जीवन पर ध्यान करो
क्योंकि गर जुबां खुला मेरा , मै बहुत बुरी हूं जान लो तुम
जबतक चुप हूं चुप रहने दो , वरना मुझको पहचान लो तुम
ज्यादा कोई अब रिश्ता नहीं हे महाशय सोच उठाइए
जितना ध्यान इधर है लगा ,खुद के जीवन पर लगाइए 🙂

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21 FEB AT 21:18

किसी के भरोसे आप दुनिया छोड़ कर निकल जाओ और वो सख्श बीच में छोड़ देता है
जो दिलाता है भरोसा उमर भर साथ रहने का वो अचानक से हाथ छोड़ देता है
जो वादा करता है हर आंसु पीने का वो दर्द का मजाक बना देता है
जो उसके लिए गलत नहीं था कुछ भी अब तुम्हारे लिए हर बात उसके लिए गलत हो जाता है
पहले तुम्हारा साथ प्यार था उसके लिए अब साथ रहना धार्मिक मुद्दा बन जाता है
अब वो जो एहसास था उसके लिए सालों बाद ये वासना है उसको ये याद आता है
आखिर तब सही गलत का सवाल कहां था जब तुम्हे कुछ गलत नहीं है वो ये समझाता है
आज प्यार उसके लिए कुछ और बन गया है , कैसे बोलोगे वो हर बात को टेंशन बता देता है .
कल सही था आज गलत है इतनी जल्दी हर बार वो अपना निर्णय बदल जाता है
वो क्या खड़ा रहेगा मेरे साथ उमर भर मेरे आंसु को सामने से कहां वो समझ पाता है ।
कोई बड़ी बात नहीं पता नहीं क्यों टूटी सी लगती हूं
शायद उसके साथ आना गलत था ये सोच के अब मै बिखरी हुई सी लगती हूं
आखिर आज ये सवाल क्यों प्यार है तो बवाल क्यों ?
कैसे गलत लगा तुझे तूने ही साथ लाया था
हजार बार बोली थी गलत है ये और तूने उतने बार ही मुझे झुठलाया था
मै भी इंसान हूं जाने क्यों तू ये भूल जाता है
कुछ साल में तेरा प्यार और निर्णय बदल गया लेकिन मेरा क्या ?क्या तू ये कभी सोच पाता है ?
(एक लड़की की कहानी )

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