उसके मना करने के बावजूद भी मैंने वो काम किया है
पर वक़्त बदलने पर उसने हमेशा मेरा साथ दिया है।
ना शामिल हो पाए मेरी खुशी में पर गम में हमेशा मेरे आगे खड़ा है ।
इत्तेफाक कहूं या कहूं किस्मत का कोई फसाना खुदा ने मुझे ऐसा यार दिया जिसके आगे फीका सा पड़े खजाना
अक्सर कम सी हो गई है मुलाकातें पर जब भी मिले हम दिल खोल कर हंसे हैं ।
दोस्ती शब्द नहीं इक आभास है,जिसे ना मिले उसकी अधूरी ये अरदास है
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