Anant Sagar Tiwari   (अनंत)
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Advocate by profession part time shayar ☺️
Joined 4 August 2018


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11 JAN 2022 AT 1:24

दिल परिसान है बहोत, पाव में छाले हैं बहुत,
शहर ए उम्मीद तेरे चाहने वाले हैं बहोत।

है नए दुख का कुछ और ही किस्सा वरना,
दिल ने एक उम्र तेरे दर्द सम्हाले हैं बहोत।

इसी भरम में अंधेरों का सफर कर डाला,
कोई कहता था के उसपार उजाले हैं बहोत।

तुम ही आओ तो इस दिल को तसल्ली देना,
यूं तो देने को मेरे पास हवाले हैं बहोत।

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7 DEC 2021 AT 1:03

टूटने का गिला नहीं करते,
पेड़ ज़िक्र ए हवा नहीं करते।

इनके लहज़े को पढ़ा जाता है
साये कुछ भी कहा नहीं करते।

अक्श जो धुप में चमकते हैं,
आइनों में छुपा नहीं करते।

वो जिन्हें सफर से मोहब्बत है,
रास्तों का गिला नहीं करते।

जीतने वाले ने क्या किया होगा,
हारने वाले क्या नहीं करते।

ये भी नहीं कोई खुदा ही नहीं,
हम तो यूं ही दुआ नहीं करते।

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22 JUN 2021 AT 2:17

जो इस शहर का खुदा रहा था,
हमारे हक़ में कहाँ रहा था।
मेरी कहानी में जो नहीं था,
मेरा ही किस्सा सुना रहा था।
वो अपनी दुनिया बना के उट्ठा,
मै अपनी दुनिया उठा रहा था।
उधेड़ बुन सी लगी हुई थी,
कोई खयालों में आ रहा था।
पहुँच का रास्ता कठिन था लेकिन,
किवाड़ मेरा खुला रहा था।
जो आज पत्थर सा हो गया है,
कभी कोई देवता रहा था।
मै उम्र भर इम्तेहान में था,
कोई मुझे आज़मा रहा था।
तुम्हारे हिस्से में बाग़ होंगे,
हमें तो सहरा बुला रहा था।
जो तेरी किस्मत में आ गया है,
कभी वो तारा मेरा रहा था।
अज़ब चरागों का कारवां था,
जो तीरगी को बढ़ा रहा था।

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5 JUN 2021 AT 0:17

किस से कहेंगे कौन सुनेगा तुम भी नहीं हो,
इतनी ज़हमत कौन करेगा तुम भी नहीं हो।

बचपन वाले शहर तो जाना था लेकिन,
दोस्त पुराना घर पे न होगा तुम भी नहीं हो।

आज की शब तो छत पर जाना केंसल है,
चाँद किसी बदली में छुपेगा तुम भी नहीं हो।

सुनी दोपहरी घर भी अकेला फुर्सत भी,
किस तरह से दिन ये कटेगा तुम भी नहीं हो।

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22 MAY 2021 AT 4:03

पानी में तैरती हुई ये लाश किसकी है,
ख़ामोश चीखती हुई ये लाश किसकी है।

रिसता है रेत में से किस लोथड़े का खून,
आधी जली हुई ये लाश किसकी है।

दफ्तर में सोती रह गई वो किसकी लाश थी,
सड़को में दौड़ती हुई ये लाश किसकी है।

क्यों साँस घुट के रह गई पीपल की छांव में
बिन मौत की मरी हुई ये लाश किसकी है।

कल रात जिसे एक अदद बिस्तर न मिल सका,
ये जो मार दी गई ये लाश किसकी है।

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16 MAY 2021 AT 3:21

कई दिनों से उदास हूँ मै,
किसी खलिश की तलाश हूँ मै।

भटक रही है जो दरिया दरिया,
अज़ीब तरह की प्यास हूँ मै।

अगर ये दुनिया मेरी नहीं है,
तो किसकी खातिर उदास हूँ मै।

जो आज गंगा में बह रही है,
किसी के सपनों की लाश हूँ मै।

अभी न झगड़ा करो खुदाओं,
अभी ज़रा बदहवास हूँ में।


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22 APR 2021 AT 2:33

बहुत हुआ इस बार नहीं,
उम्मीदों से प्यार नहीं।

कैसे दिल के दाग़ छुपाऊँ
शायर हूँ अख़बार नहीं।

आप तो धोका दे सकते हैं,
अपने हैं अग़यार नहीं।

मिट्टी का सज़दा होता है,
मिट्टी का मेयार नहीं।

रिस्ते की तामीर गिरी पर,
आपस की दीवार नहीं।

यादों का सामान बचा है,
ज़ीस्त अभी बेज़ार नहीं।

बादल तो बेताब है लेकिन,
सहरा को दरकार नहीं।

चोरों की बस्ती अच्छी है,
कोई चौकीदार नहीं।

हमको बस दीवार दिखी है,
दीवारों के पार नहीं।

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16 APR 2021 AT 1:43

रात के पिछले पहर याद आया,
अब न लौटेगी सहर याद आया।

रस्ते भर उसी को ढूंढा किये,
जाने क्या वक़्त-ए-सफर याद आया।

रातभर शहर में भटकते रहे,
फिर बहुत देर से घर याद आया।

मुद्दतों बाद आईना देखा,
मुझको मै बार-ए-दिगर याद आया।

दूर परछाइयां उभरती रही,
रास्ता हस्ब-ए-सफ़र याद आया।

पहले दीवार घर की ढाई गई,
फिर चमेली का शज़र याद आया।

तुझको किस नाम से पुकारेंगे
तेरा चेहरा जो अगर याद आया।

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15 APR 2021 AT 0:05

चमन का मौसम बदल गया है,
गुलों को बागवान छल गया है।

मै अब तलक कू-ए-यार में हूँ,
वो हर गली से निकल गया है।

तुम्हारे हिस्से की कश्मकश है,
जहाँ का झगड़ा सम्भल गया है।

ये मुठ्ठी अब भी बंधी हुई है,
न जाने क्या क्या फिसल गया है।

जो मेरी नींदे उड़ा रहा था,
वो ख़्वाब आँखें बदल गया है।

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12 APR 2021 AT 0:03

ए रहगुज़र ए रहगुज़र,
कैसे कटे तन्हां सफर,
छोड़ा है घर सब हार कर,
चुभती तो है ये घूप पर,
जलता है जो छाला अगर,
किससे कहें किसको ख़बर,

जानिब मेरी चेहरा तो कर,
ए मेहरबां कुछ बात कर।
ए मेहरबाँ कुछ बात कर।
बाद-ए-सबा ए दिलरुबा,
ए मंजरों ए कहकशां,
लिखा है मेरे नाम क्या,
वीरानियाँ या क़ाफ़िला,
किस सिम्त है चलना भला,
दिखता नहीं क्यों रास्ता,

है दूर जो मंज़िल अगर,
ए मेहरबाँ कुछ बात कर।
ए मेहरबाँ कुछ बात कर।
बिखरे हैं सारे ख़्वाब क्यों
उम्मीद क्यों पथराई है,
तपती काली रात क्यों,
क्यों चांदनी मुरझाई है
उठते हैं क्यों ये मरहले,
होती नहीं ग़म की सहर,
ए मेहरबाँ कुछ बात कर।
ए मेहरबाँ कुछ बात कर।

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