देशवासियों सुनों देश को नमन करो
देश ही आधार है , प्यार देश से करो।
लड़ रहे हो आज क्यों छोटी - छोटी बात पर,
देश हित को भूलकर प्रान्त , भाषा , जात पर,
मिटा के भेदभाव को , देश को सुदृढ़ करो।
भ्रष्टचार की लहर उठ रही नगर - नगर,
घोर अंधकार में सूझती नहीं डगर,
ज्योति नीति - धर्म की आज तुम प्रखर करो।
देश आज रो रहा , देश का रुदन सुनो,
बाँट दर्द देश का , मित्र देश के बनो
प्रेम के पीयूष से , द्वेष का शमन करो।
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