जिस कश्ति में तुम सवार हो
दुनिया पूरी उसमें ही बैठा।
आसूं टपके तो हैं औरों के भी
पर तुम्हे सिर्फ अपना ही दिखा?
तूफानों को कौन रोक सका है!
जब आएंगी, कई मुश्किलें भी लाएंगी।
खड़े रेहना तुम पेड़ की तरह,
एक दो पत्ते ही ये हिला पाएंगी।
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Nothing in life is good or bad, it is just relatable or out of context.
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वीर हे तू , मगर
जिंदगी मैं क्यों विराम की कमी!
बैठ गए अगर कदम तो
तूने सोचा अब कीर्ति नहीं!
दुश्मनों से डर नहीं,
खुद से ही तु है खफा।
अस्त्र सदा चल रहे,
मगर निर्वस्त्र क्यों मन तेरा।
अंकुश खुद पर लगाए
खुद पर क्यों कर रहा खता,
आंधी तूफान से तो लड़ लिया,
अब मौन में तू मन को न सता।
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आश हे तो आसमान है
पैरों तले ही शमशान है।
पंख मिले तो उड़ चलो
वरना गुजर जाना तो यूं आम है।-
Waiting for what awaits me
Am I falling to time's prey?
But patience is the key as they say.-
कहो इसे खुशकिस्मती
या हूं में बदकिस्मती का गुलाम!
पूछो जरा उनसे,
जो करें हाथों की लकीरों को सलाम।
अगर मिट जाए किसी दिन ये लकीरें,
या न रहे माथे की कागज कोरे,
तो क्या आएगा दिन ऐसा,
की रखने को बातें अपनी
बदल ही देगी नसीब अपनी भाषा?-
The mere change in position of "H" can change the whole thing. Isn't it?
"BRAHMA" or "BHRAMA"
The path of "BRAHMA" (the ultimate truth) demands sacrifices and self-acceptance so people choose to live in "BHRAMA".-
The rush of capturing everything on camera has taken away the feel in the beauty of the moment.
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