Anand Upadhyay Ji   (Anand upadhyay ji)
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Joined 21 April 2018


Joined 21 April 2018
12 JAN 2022 AT 12:07

मेरा आराम मेरा ख़ूबसूरत ख़्वाब हो तुम
मत पूछो इन सब सवालों का जवाब हो तुम

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11 JAN 2022 AT 8:28

जब भी लिखने बैठूं तुमको बस इतनी सी बात लिखूं
अपनी हर धड़कन मैं लिख दूं अपना हर ज़ज़बात लिखूं
लिखूं तुम्हारा हर मुस्काना या मैं अपना सुकून लिखूं
लिखूं तुम्हारे आंसू जब जब बस अपना ही खून लिखूं

ख़ुदा लिखूं फिर लिखूं तुम्हें या ख़ुदा तुम्हारे बाद लिखूं
लिखूं तुम्हारा हंसता चेहरा या पूनम का चांद लिखूं
लिखूं तुम्हारे होंठ गुलाबी या गुलाब की पंखुड़ियां
लिखूं तुम्हारी सुन्दरता या लिखूं मोम की एक गुड़िया

तू मेरी लिखने से पहले ही खुद को तेरा लिख दूं
मेरी खुशी तुम्हारी लिखकर तेरा गम मेरा लिख दूं
मेरे लिखने भर का क्या है में तो लिख दूं तू मेरी
किस्मत लिखने वाले लिख दे मैं उसका और वो मेरी

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9 JAN 2022 AT 6:58

टूट जाता है दिल फिर भी हंसता है चेहरा
हमने भी यार मोहब्बत का भरम देखा है

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21 DEC 2021 AT 15:46

मुझे हकीकत पसंद है मैं ख्वाबों में नहीं जीता
मुझे चाय पीनी है मैं कॉफी नही पीता ☕❤️

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14 DEC 2021 AT 19:02

तुम्हारे और मेरे बीच में कोई दूरी थोड़े ही है
नहीं आने दूंगा किसी को कर्फ्यू जरूरी थोड़े ही है

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14 DEC 2021 AT 18:59

और मैं हर पल सोचता हूं
खुदा मुझे नसीब वाला बना दे

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14 DEC 2021 AT 0:04

एक गुलाब की महक ने मुझे भी गुलाब कर दिया
तू मेरे दिल में बस गई और मुझे लाजवाब कर दिया

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12 DEC 2021 AT 21:46

वक्त था मेरे हक़ में जो तुमसे मिला
तुम मिली तो मुझे कोई अपना मिला
मैं अकेला नहीं था या अकेला ही था
पर अच्छा हुआ जो मैं तुमसे मिला
तुमसे जाना कि अच्छी है दुनिया अभी
ऐसे ही याद रखना भुलाना नहीं
अब आपके लिए और क्या मैं कहूं
सिर्फ इतना कि मैं आप जैसा बनूं

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12 DEC 2021 AT 21:31

सांस आती रही सांस जाती रही
बस कभी भी ये जीवन लगा ही नहीं
मैं सुनाता था खुद को बहाने बहुत
पर बिना तेरे मन ये लगा ही नहीं
थी खयालों में मेरे जहां भी थी तुम
तुमसा कोई कहीं भी मिला ही नहीं
तुम तो ऐसे मुझे मेरी लगने लगी
जैसे कोई और मेरा सगा ही नहीं
मैंने मन को मनाया हज़ारों दफा
पर बिना तेरे मन ये लगा ही नहीं

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11 DEC 2021 AT 23:36

ना जाने ढूंढती हो क्यों
हक़ीक़त को भी सपनों में
गैर भी सब नहीं रावण
सब नहीं राम भी अपनों में

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