सुनो....मैं उस उम्र में भी तुमको अपने पैरों पर सुला लूँगा, ❤
जिस उम्र में हमेशा मेरे घुटनों में दर्द रहेगा...-
रोज विरह में रहा खनकता पर कंगन को किसने समझा
पीड़ाओं को ढोने वाली इस खन खन को किसने समझा
सब अपनी मनमानी लेकर आए तो थे मन तक मेरे
सबने अपने मन की कर ली मन के मन को किसने समझा-
किंतु , परंतु , लेकिन , यदि , अगर , मगर , काश नहीं करते ,
कुछ कर गुजरने वाले बहानों की तलाश नहीं करते ....-
रात काली है मगर यह,
और गहरी हो न जाए ..
फिर तुम्हारी चेतनायें,
शून्य होकर खो न जाए ..
इसलिए मैं फिर खड़ा हूँ,
स्याह रातों से लड़ा हूँ ..
मैं तिमिर में ही कहीं,
सूरज निकलता खोज लूँगा ..
मैं घने अवसाद में भी
अपनी सफलता खोज लूँगा ..-
युद्ध चल रहा है स्वयं की सोच से, कि क्यों इतना सोच रहा हूं मैं तुम्हें...!!!
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मेरे शब्दों की
मेरे अहसासों की
मेरी कविताओं का
क्या मोल है ...
मुझे बिल्कुल भी
पता नहीं !
पर हां मुझे ..
बस इतना पता है!
तुम मेरे लिए
सबसे अनमोल हो !
🖤❤️-
इस तरह इश्क की शुरुवात कीजिए
एकबार अकेले मे मुलाक़ात कीजिए
सुखी पड़ी है दिल की ज़मी मुद्दतों से यार
बनकर घटा प्यार की,बरसात कीजिए
हिलने ना पाए होठ,और कह जाए बहुत कुछ
आँखो मे आँखे डाल कर हर बात कीजिए
दिन मे ही मिले हम रोज़,देखे ना कोई और
सूरज पे जुल्फ डाल कर फिर रात कीजिए।
🖤🤍-
Stop waiting for the right person to come into your life.
Be the right person to come to someone’s life.-
देखो ना ! मेहंदी का रंग कितना गहरा चढ़ा "💞
चहकते हुए तुमने
कहा था :) 💞
"हाँ ! गहरा है बिल्कुल सागर जैसा" :)💞
पता है :- "जिसकी मेहंदी जितनी
गहरी वो पिया की उतनी प्यारी":) 💞
उस पल "प्रेम, मेंहदी, सागर, कत्थई रंग"
सब तुम्हारे होठों पर मुस्कुरा रहे थे :)) 💞-
लगता है ये उम्र यूं ही बेबसी में, घुटन में, खीझ में, उदासी में बीत जानी है, कोई नहीं आने वाला अब वसंत लेकर मेरे हृदय में, अब पतझड़ का आदी हुआ जा रहा है ये...!!!
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