मुझे मालूम नहीं कैसे करतें है ख़ूबसूरती की तारीफ, मेरे नज़रों में तो खूबसूरत वो है, जो तुमसा दिखता है... मुझे मालूम नहीं प्यार किसे कहते हैं, मेरे नज़रों में तो प्यार वो है, जो मुझे तुम्हारी आंखों में दिखता है... मुझे मालूम नहीं फिक्र क्या होती है, मेरी नज़रों में तो फिक्र वो है, जब तुम मुझे रोज़ काढ़ा पीने को बोलती हो... मुझे मालूम नहीं सुकून क्या होता है, मेरी नज़रों में तो सुकून वो है, जो मुझे तुम्हे देख कर मिलता है...
मुझे तो बस इतना मालूम है कि तुम मेरी हो, और मैं तुम्हारा ❤️
जब जब गिरा हूं मैं, माँ मुझे संभाला है तूने.. मेरे कदमों की आहट, दूर से ही पहचान है तूने.. माँ तेरे लिए क्या लिखूं मुझे समझ नहीं आ रहा.. चोट लगी है जब भी, मुझे हमेशा संभाला है तूने.. ज़िन्दगी का हर पाठ मुझे तू पढ़ाया करती है.. माँ.. हमेशा क्यूं मेरे चेहरे पर तू काला टीका लगाया करती है.. भूख लगती है जब भी, तेरे पकवान क्यों याद आते हैं.. तेरे सिखाए नुस्खे अब मुझे लॉकडाउन में काम आते हैं.. मेरी हर बचकानी ख्वाहिशें तू हमेशा मान जाया करती है.. मैंने खाना खाया या नहीं, तू हमेशा कैसे जान जाया करती है.. तेरी गोद में सर रख कर सो जाने को दिल करता है.. माँ, बचपन की वो लोरी आज फिर से सुनने को दिल करता है..