Anand Rao   (Anand Rao✍️)
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Joined 12 July 2020


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5 DEC 2022 AT 23:59

सिर्फ चेहरे की दिखावट को देखकर किसी दूसरे को पहचाने.. तो वो इंसान कहला ही नहीं सकता..
सिर्फ बाहरी सुंदरता देखकर करे तुमसे प्यार.. तो वो प्यार कहला ही नहीं सकता..
अरे सुंदरता तो देखने वालों की नजरों में होता है..
और कोई सिर्फ़ गोरा, काला ही देखें तो वो कभी पढ़ा लिखा कहला ही नहीं सकता है..

अगर कोई कहे तुम अच्छे नहीं दिखते हो..
दिल तो साफ है मगर फिके थोड़े लगते हो..
तो जवाब में कहो.. क्या तुझे जाने से मैंने कभी टोका है..
तुझे कोई अच्छा दिखे तो उससे बात करने से मैंने कभी रोका है..
सकल से लगते तो तुम भी बड़े चुतिये हो.. पर क्या कभी ये बात मैंने तुमसे बोला है..
और तूझ जैसों के साथ मैं भी कभी नहीं रहता..
क्योंकि किताब के पहले पन्ने को देखकर पूरी किताब की बुराई मैं कभी नहीं करता..

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12 NOV 2022 AT 23:51

चाहे कोई भी सफर हो, अपनों से तुम्हें दूर तो होना ही पड़ेगा,
लक्ष्य तुमसे दूर हो या पास.. लेकिन बिना sacrifice किए तुम्हें कुछ न मिलेगा..
दूसरों को दिखाने के लिए मुश्किल रास्ते पर कभी ना चलना..
और दूसरों का मुंह बंद करने के लिए..कठिन रास्ते को कभी न चुनना..
लेकिन अगर चुन ही लिया है तो कभी पहुंच न पाओगे..
इस रास्ते पर चलने के बाद हमेशा पछताओगे..
और उस मंजिल के न पाने का गम जिंदगी भर न भुला पाओगे..

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4 AUG 2022 AT 10:53

अक्सर लोगों से कहते सुना है की जब तक तुम अपनी जिंदगी का लक्ष्य ना पा लो तब तक तुम अपने आप को दूसरों से दूर रखो.. और बाहरी दुनिया से अपने आप को अलग कर लो..
अकेले रहना एक हद तक सही साबित हो सकता है लेकिन समय बितते आपको महसूस होने लगेगा की मेरी Life में कोई है ही नहीं जिससे मैं दो पाल मैं बात कर सकूं और आज मैं क्या-क्या किया यह share कर सकूं..
यही समय होता है जब आप अकेले रहते रहते अकेलेपन का शिकार होने लगते हैं..
और यह अकेलापन आगे चलकर anxiety or depression कारण बनता है..
अकेले होना अच्छी बात होती है मगर अकेले होने की वजह से आप अकेलापन महसूस कर रहे हों तब वह आपके लिए अच्छी बात नहीं होती है..
अरे लक्ष्य तो life के हर एक मोड पर मिलेगा और ऐसा नहीं है की एक लक्ष्य पा लिया तो बाकी सारी जिंदगी सुकून से भरा मिलेगा..
इसीलिए कुछ अच्छे रिश्ते बनाओ, कुछ नए दोस्त बनाओ..
कुछ उनकी भी सुनो और कुछ अपनी भी सुनाओ..

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29 APR 2022 AT 22:45

हमेशा शैतानियां करने वाला मन चुपचाप क्यों रहने लगा..?
हमेशा खुश रहने वाला मन अब शांत क्यों रहने लगा..?
हर समय बोलने वाला न जाने क्यों चुप सा क्यों हो गया..?
बेफिक्र होकर कुछ भी करने वाला दिल न जाने कहां छुप सा गया..?
नटखट करने वाला दिल न जाने क्यूं कहीं सो सा गया..
उम्र के किताबों से ‌‌‍‍‍"बचपन" का शब्द न जाने कहां खो सा गया..?

तब छोटे-छोटे रास्ते थे, और छोटी-छोटी मंजिलें..
और उन मंजिल पर पहुंचने के लिए अनेक रास्ते थे..।
तब किसी के डांटने पर, रो दिया करते थे..
कुछ अनकही सी बातें भी इशारों में समझ जाते थे..
पुकार के भर लेते बाहों में और कंधे पर सिर रख सो जाते थे..
और हंसते खेलते दिन यूं ही कट जाते थे।
तब कंधे पर बैठकर अपने पापा के, घर की छत पर खेला करते थे..
कभी थाम के उंगली मम्मी की मेला बहुत घूमा करते थे।
कभी पीठ पर बैठकर अपने दादा जी की,
उन्हें घुमाने की ज़िद करते थे..
और कभी जब नानी के घर जाते तो उनसे खूब कहानियां सुना करते थे..।
तब लोग पूछा करते थे, कि बड़े होकर के क्या बनना है..
पर उस समय तो जवाब ना मिल पाता है..
अब बड़े होकर उस सवाल का जवाब मिला कि फिर से बच्चा बनकर उसी बचपन की मस्ती में फिर से कुछ पल बिताना है।
मैं फिर से चुनना चाहता हूं,
बीते हुए बचपन में जीने को,
उस बचपन की मस्ती को,
और उस चाहत भरी जवानी को।।

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19 MAR 2022 AT 3:48

त्योहार पे अपने घर ना होना कितना अधूरा लगता है ना..
मां कहे "मनपसंद आज तेरा खाना बना.. पर आज न जाने तू कहां..
यूं तो बहुत मिठाईयां लाए तेरे पापा.. पर मिठाइयों को छीन कर खाने वाला कोई ना यहां.."

बाजार का गुजिया खाने से पेट तो भर जाता है.. पर मां के हाथ की तरह स्वाद कहां मिलता है..
नए लोग, नई जगह सब कुछ अच्छा तो लगता है.. पर खुशी और सुकून तो अपने घर में ही मिलता है..

दोस्तों के साथ त्योहार मनाने में खुशी तो मिलती है..पर भाई बहन के साथ ना होना कुछ सुना सुना सा लगता है..
यूं तो साथ में बहुत सारे लोग हैं पर मां बाप के साथ ना होना त्योहार पे.. कुछ अधूरा अधूरा सा लगता है..।।

सच में..त्योहार पे अपनों से दूर होना कितना बुरा लगता है ना..
चाहकर के भी घर न जा पाना कितना बुरा लगता है ना..।।

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8 MAR 2022 AT 2:26

बिटिया, पापा की शान और मां की जान होती हैं..
भाई की प्यारी
और घर में सबसे छोटी हो तो..घर की गुड़िया कहलाती है और सबकी दुलारी बन जाती है..
जब वह कुछ बड़ी होती है.. तो उसके जीवन में अनेक परेशानियां आती हैं..
यूं तो उनकी परेशानियों को मां के अलावा कोई समझ ना पाता..
क्योंकि कष्ट होते हुए भी वह बाहर से हमेशा मुस्कुराती रहती हैं..
दुख से बाहर निकालना तो आम बात है..
पर हर दुख को हंसकर पार करना एक नारी की पहचान होती है..
इसीलिए कहते हैं स्त्रियां महान होती हैं..

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18 DEC 2021 AT 19:13

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19 SEP 2021 AT 22:35

चलो कुछ बात करते हैं..
सब कुछ छोड़ कर.. कुछ पल ज़रा साथ बैठते हैं....


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27 JUN 2021 AT 18:56

जब मिले थे ..'तो ना बिछड़ेंगे कभी'.. ऐसा वादा किए थे...
पर आज पता चला कि वह सब वादे झूठे
हुआ करते थे...।

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17 JUN 2021 AT 13:52

अपनों से तुम्हें दूर तो होना ही पड़ेगा..
लक्ष्य तुमसे दूर हो या पास.. लेकिन बिना sacrifice किए तुम्हें कभी ना मिलेगा...
दूसरों को दिखाने के लिए मुश्किल रास्ते पर कभी ना चलना..
और दूसरों का मुंह बंद करने के लिए..कठिन रास्ते को कभी न चुनना...
लेकिन अगर चुन लिया है तो कभी पहुंच न पाओगे...
इस रास्ते पर चलने के बाद हमेशा पछताओगे...
और उस मंजिल के न पाने का गम जिंदगी भर न भुला पाओगे...

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