Anand Pancholi  
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Joined 6 August 2018


Joined 6 August 2018
17 JAN 2022 AT 1:44

के गर कभी नाराज़ होना
तो यूं ज़ाहिर कर देना...
जो मेरे लिए चाय बनाना
वो मीठी कम कर देना।

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16 DEC 2021 AT 18:34

कदम कदम
बढ़ रहे हम..
एक कदम आगे
पीछे को दो कदम...
एक कदम आगे
पीछे दो कदम...
मंजिल पूछे सवाल
क्या बढ़ भी रहे हैं हम?

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19 OCT 2021 AT 15:18

सपना है सच या
ये सच ही है सपना?
कोई सुला दे मुझे
या आके जगा दे...
फूलों की खाल में
कंटीली लगती है दुनिया
सोचो कभी ध्यान से
अविश्वसनीय लगती है दुनिया।

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9 OCT 2021 AT 2:32

तेरी धड़कन से तू पूछ,
क्या मौज है?
ये जो बेतहाशा, हर घड़ी
बिन रुके, बिन थके जो चल रही है,
क्या खोज है?
वक्त सी दौड़ती है कभी,
वक्त सी थम जाती है..
बुद्धि की सारथी है,
ख्यालों की दोस्त है..
जीवन का एहसास दिलाती है,
ये ख़ुद में एक फौज है,
तेरी धड़कन से तू पूछ
क्या मौज है?

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6 OCT 2021 AT 0:56

अंधेरे में रोशनी का आघात चाहिए...
शांति सी है वात में,
अब उत्पात चाहिए।
ये जो भभकता है सागर सामने
इसे पार करने का प्रताप चाहिए।
कुमार हूं पिनाक का,
कुछ भटका सा,
मुझे लक्ष्य का आभास चाहिए।

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15 JUL 2021 AT 10:04

सरकार ने ये फरमान दिया है
बीच शहर में
खानाबदोश को मकान दिया है,
ले कर जंगलों की जाहिली,
चिड़ियाघर का ज्ञान दिया है।

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15 JUL 2021 AT 0:40

सर पे आसमान है,
बस ये अरमान है
आसमान से उपर उठकर
वो मकान बनाना है, कि
नाकामियों को जलाना है।

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2 JUN 2021 AT 9:55

बेड़ियों में कैद जहाज बैठा है,
एक कमरे में बंद पहाड़ बैठा है,
खुलने की प्रतीक्षा है या
बिखरने का भय है इसे,
खुद को तिनके में समेटे
कब से ब्रह्माण्ड बैठा है।

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23 MAR 2021 AT 0:16

ये सुकून की धूप की शाम हो रही है
जिंदगी सोमवार के नाम हो रही है।

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18 JAN 2021 AT 14:00

कुछ छन, कुछ सन
कुछ पत हिलाती पवन।
कभी कटु, कभी प्रसन्न
कभी गुदगुदाता ये तपस।
दुकानों पर अलावों की
सहलाने लगी तपन,
और घर के भीतर फिर चला
कंबलों का चलन।

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