के गर कभी नाराज़ होना
तो यूं ज़ाहिर कर देना...
जो मेरे लिए चाय बनाना
वो मीठी कम कर देना।-
कदम कदम
बढ़ रहे हम..
एक कदम आगे
पीछे को दो कदम...
एक कदम आगे
पीछे दो कदम...
मंजिल पूछे सवाल
क्या बढ़ भी रहे हैं हम?-
सपना है सच या
ये सच ही है सपना?
कोई सुला दे मुझे
या आके जगा दे...
फूलों की खाल में
कंटीली लगती है दुनिया
सोचो कभी ध्यान से
अविश्वसनीय लगती है दुनिया।-
तेरी धड़कन से तू पूछ,
क्या मौज है?
ये जो बेतहाशा, हर घड़ी
बिन रुके, बिन थके जो चल रही है,
क्या खोज है?
वक्त सी दौड़ती है कभी,
वक्त सी थम जाती है..
बुद्धि की सारथी है,
ख्यालों की दोस्त है..
जीवन का एहसास दिलाती है,
ये ख़ुद में एक फौज है,
तेरी धड़कन से तू पूछ
क्या मौज है?-
अंधेरे में रोशनी का आघात चाहिए...
शांति सी है वात में,
अब उत्पात चाहिए।
ये जो भभकता है सागर सामने
इसे पार करने का प्रताप चाहिए।
कुमार हूं पिनाक का,
कुछ भटका सा,
मुझे लक्ष्य का आभास चाहिए।
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सरकार ने ये फरमान दिया है
बीच शहर में
खानाबदोश को मकान दिया है,
ले कर जंगलों की जाहिली,
चिड़ियाघर का ज्ञान दिया है।-
सर पे आसमान है,
बस ये अरमान है
आसमान से उपर उठकर
वो मकान बनाना है, कि
नाकामियों को जलाना है।-
बेड़ियों में कैद जहाज बैठा है,
एक कमरे में बंद पहाड़ बैठा है,
खुलने की प्रतीक्षा है या
बिखरने का भय है इसे,
खुद को तिनके में समेटे
कब से ब्रह्माण्ड बैठा है।-
ये सुकून की धूप की शाम हो रही है
जिंदगी सोमवार के नाम हो रही है।-
कुछ छन, कुछ सन
कुछ पत हिलाती पवन।
कभी कटु, कभी प्रसन्न
कभी गुदगुदाता ये तपस।
दुकानों पर अलावों की
सहलाने लगी तपन,
और घर के भीतर फिर चला
कंबलों का चलन।
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