Anand Mitr   (Anand Mitr)
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Joined 21 February 2020


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20 FEB AT 22:10

मन मेरा चंचल
करता है तन मन में हलचल
कभी हवा में उड़ना चाहे
कभी धरा से जुड़ना चाहे
ना जाने कब संभलेगा ये
कब थमेगा मन का कोलाहल
मेरे मन, मन मेरे चंचल
थोड़ा धम जा, थोड़ा तो संभल

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7 FEB AT 22:27

ए दिल चल, थोड़ा मुस्कराते हैं
मुस्कुरा कर अपने सारे गम भुलाते हैं

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6 FEB AT 23:34

ज़ेहन को धुंधला कर दें
इससे पहले अपने
ख्यालों का धुआं उड़ा दो
अपनी सोच को बदल कर
अपने मन को
इक नई रौशनी दिखा दो

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6 FEB AT 18:23

ये सोचकर मैं घबरा जाता हूं
इसलिए अपने मन की बात
तुमसे से कह नहीं पाता हूं
वैसे तो मैं सिर्फ तुम्हारा दोस्त हूं
पर दिल ही दिल में तुम्हें चाहता हूं

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6 FEB AT 12:29

तो समझ आए
समुंदर में मिलने का मज़ा क्या है
ये जो ज़िन्दगी की आदत है
उस से बिछड़ कर
रब से मिलने का मज़ा क्या है

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5 FEB AT 23:26

भूली बिसरी बात मिलेगी
चांद तले वो चलते चलते
दिल से दिल की बात कहेगी

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5 FEB AT 23:15

मैं भुला कभी ना पाऊंगी
इन लम्हों की यादों संग ही
मैं अब ये जीवन बिताऊंगी
तू संग हो मेरे या ना हो मेरे
में हर पल तुझको चाहूंगी
मैं तेरे प्यार में डूबी हूं
मैं इसमें डूब के ही मर जाऊंगी

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5 FEB AT 22:54

बांध लिया है
मैंने आधा, तूने आधा
ये अटूट बंधन ना टूटे
आओ मिल
करते हैं ये वादा

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5 FEB AT 22:45

दिल की धड़कन फोन पर सुनकर तसल्ली कर ली,
ऐसा लगता है सनम,
तुझसे सदियों की मोहोब्बत कर ली

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5 FEB AT 22:27

कहां है
बस में स्त्री के
उसके अस्तित्व पर
तो आज भी
हावी रहता है
पुरुषों का प्रभुत्व

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