दिल की गहराई से, रचनाएं हम गढ़ें, फॉलोवर्स का खेल है, पढ़ने वाले कहें!
शब्दों के अनमोल हार, गूंथे हैं हम प्यार से, पहनने वाले कम, दिखे बस दिखावा प्यार में!
लिखते दर्द हम दिल का, बयां करते जज्बात, लोगों को चाहिए बस, लाइक-फॉलो की बात!
रचनाएं हैं भाव संगम, ट्रेंड में खोया जग, असल मायने भूले सभी, बस चलन है अब भग!
लिखने का मजा है सजा, शब्दों को दिल से जोड़, पढ़े न कोई तो फिर, क्या है ये लिखने का ओड़!
दिल के टुकड़े हैं शब्द ये, बिखरे हैं आंगन में, पढ़े कोई दिल से नहीं, बस फॉलो है कारण में!
जज्बातों की गहराई में, डूबे हैं ये अल्फाज, लोगों को चाहिए बस, सतह का ही सरताज!
फूल खिलते हैं कागज़ पर, भावों की है खुशबू, पढ़े न कोई तो मुरझाए, बिखर जाए मधुरू!
शब्दों में बसी हैं कहानियां, दिल की गहराई, लोगों को चाहिए बस, बाहरी दिखावाई!
लिखते हम हैं आंसू से, शब्दों में दर्द घोल, पढ़े कोई तो समझे, वरना है ये सब बोल!
रातों की अंधेरी में, लिखी हैं ये बातें, दिन के उजाले में, भूल जाते सब रीतें!
जज्बातों के समंदर में, लहरें हैं उठती, लोगों को चाहिए बस, किनारे की ठहरती!
सपने हैं शब्दों में सजे, अरमान हैं बिखरे, पढ़े कोई दिल से तो, भावों में हैं सिखरे!
लिखना है एक जुनून, शब्दों का है ये खेल, चाहे कोई पढ़े न, लिखेंगे हम हर क्षेल!
दिल की आवाज है ये, शब्दों में है टपक, पढ़े कोई या न पढ़े, है ये हमारी पक!-
मधुर यादों के द्वार से जब तुमने अनजाने में छोड़ा साथ!
मेरे दिल के जंजीरों में तुमने डाला था एक हाथ!-
किताबों में छुपे हैं शब्द जो अनकहे!
दिल की गहराइयों में हैं भाव जो अनदेखे!
साँसों में बसी है एक धुन अनसुनी, आँखों में छुपे हैं सपने जो अनजाने!
हम चलते हैं रास्तों पर जो अनजान, हर कदम पर हैं मोड़ जो अपरिचित समान!
समय के पन्नों पर लिखते हैं हम कहानी, पर कौन पढ़ेगा ये गाथा है अनिश्चित जानी!
धुंध में छुपे हैं रास्ते अनजाने, दिल की आवाज़ में हैं सन्नाटे अनकहाने!
साँसों की धड़कन में एक लय है अनसुनी, आँखों के कोने में आँसू हैं अनदिखे जाने!
समय के पन्नों पर धूल जमी है गहरी, यादों के पेड़ों पर पत्तियाँ हैं अधूरी!
हम चलते हैं राहों पर जो अनिश्चित सी, हर कदम पर हैं सवाल जो अनजवाबी खड़ी!
प्यार एक शब्द है जो अनकहा रह जाता, दर्द एक एहसास है जो अनदेखा सह जाता!
ख्वाब बुनते हैं हम जो अधूरे से लगते, नींद में भी हैं सपने जो अनजागे पड़े रहते!
चाँदनी रातों में एक सुकून है अनजाना, तारों की छांव में एक सन्नाटा है अनकहाना!
हवा के झोंकों में एक सदा है अनसुनी, पत्तियों की सरसराहट में एक कहानी अनकही!
हम ढूंढते हैं जवाब जो अनमिले हैं अक्सर, सवालों के जंगल में हैं कई राहें अनजानी!
दिल की गहराई में एक सच है अनकहानी!
हर पल में छुपे हैं अर्थ जो अनबोले,और उसी सच में छुपा है जीवन का मर्म अनदेखा!
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बेवफ़ाई के आईने में, दिखता है सच का चेहरा!
जहां धोखे की परछाईं है, वहीं दर्द का है डेरा!
तुमने वादे तोड़े थे जो, दिल के अरमानों को मार!
आज उसी दर्द की टीस है, जैसे सीने में अंगार!
बेवफ़ाई की राह चली तुम, जहां स्वार्थ ने साथ दिया!
प्यार को तुमने मिट्टी किया, अब आंसू हैं बहा दिया!
आईने में दिखता है सच, जो तुमने किया है छल!
आज उसी का है हिसाब, दिल के गहरे में है कल!
तुमने भुला दिए वो लम्हे, जब प्यार ने दिल को छुआ!
अब बेवफ़ाई के कांटे हैं, जो हर साँस को दुख दुआ!
वादों के टूटे तार हैं, जैसे टूटा हुआ सितार!
बेवफ़ाई की धुन बजी है, दिल के अंदर मातम अपार!
सच का आईना कहता है, जो बोओगे वही काटोगे!
बेवफ़ाई का दर्द सहोगे, जो दूसरों को दुख दोगे!
यादें अब भी हैं बाकी, जैसे अधूरा एक सपना!
बेवफ़ाई की कसक है साथ, दिल के अंदर एक कल्पना!
अब न कोई गिला है बस, जो हुआ वो है लिखा!
बेवफ़ाई के आईने में, दिखता है सच का दुख छिपा!
दर्द की कहानी लिखी है, बेवफ़ाई के पन्नों में!
अब बस आंसू ही बचे हैं दिल के टूटे हिस्सों में!-
ब्राह्मण कुल में जन्म लियो, शिव की छांव में पले सुंदर!
महादेव की भक्ति करे, हृदय रहे उनके संग अनंदर!-
मैं जब जलता हुआ दीप बन इक तेरे घर आया था!
तेरी आंखों में देखा मैंने, प्यार का समंदर पाया था!
मैं नहीं था कोई ज्ञानी, बस एक सच्चा इंसान था!
तेरे दिल की बातें सुनीं, आंसू पोंछे मैंने सच्चे मन से पाया था!
मैं आया था दर्द मिटाने, तेरे जीवन में उजाला लाने!
तेरी राहों में बिखेर दिए, प्यार के फूल मुस्काने!
तू अकेला था, मैं साथ बना, तेरे दुःख को गले लगाया!
तेरी उम्मीदों को सहारा दे, मैंने दिल से तुझे अपनाया!
तेरे आंसुओं में देखा मैंने, दर्द की एक कहानी!
मैं ने सुनी उन बातों को, दिल से जुड़ा मैं तेरी जवानी!
नहीं चाहा मैंने कुछ भी, बस देना था दिल से!
प्यार की एक बूंद भी, सुख देती है दिल को!
मैं जलता हुआ दीप बना, अंधेरे को मिटाता गया!
तेरे जीवन में रोशनी ला, प्यार का दीया जलाता गया!
भावनाओं का आदर है, इंसानियत का मोल!
दिलों को जोड़ता प्यार है, मिट जाता हर बोल!
तू टूटा था, मैं संभाला, तू अंधेरे में था मैं उजाला!
प्यार की एक धुन बजी, दिलों में खुशबू छूटी!
मैं नहीं चाहता कुछ भी, बस दिलों को जोड़ना है!
प्यार और इंसानियत से, हर दर्द को मिटाना है!-
नेक नीयत से जगत में, फैलता है प्यार!
इंसानियत का पाठ है, दिलों को जोड़नहार!!
मैं चला राह पर सदा, दिल का दुःख मिटाने!
जो अकेले थे उन्हें, साथ दिया मैं आने!!
नेक इरादे से किया, सबके लिए भला काम!
इंसानियत की राह पर, दिलों में बसा प्यार का नाम!!
भावनाओं का आदर है, इंसानियत का रूप!
दिलों को जोड़ता प्यार है, मिट जाता हर कुप!!
जो टूटे थे वे संभले, जो अंधेरे में थे निकले!
नेक नीयत की ज्योति जली, दिलों में खुशियां झलके!!
इंसानियत सिखाती सदा, सबके लिए करना नेक!
दिलों में बसेगा प्यार तब, मिट जाएगा हर दुःख-देख!!
नेक सोच से जग सुधरे, इंसान बने महान!
प्यार और इंसानियत से, मिटे सबका अंजान!!
नहीं देखा भेद कोई, नहीं सोचा ऊंच-नीच!
बस दिल से दिल को जोड़ा, मिटा दिया हर पीच!!
नेक नीयत का फल मिले, इंसानियत का होय सम्मान!
दिलों को जोड़ें सदा, खुशियां ही खुशियां छाय!!
जो दिलों में दर्द छुपा, उसे प्यार से समझाय!
नेक इरादे से दिया, दिल को सुख हो जाय!!
इंसानियत की राह चले, जहां नेक नीयत होय!
दिलों में खुशियां बिखरें, मिट जाये सबकी खोय!!
नेक कर्मों से जग सुधरे, इंसान बने उज्जवल!
प्यार और इंसानियत से, मिटे सबके जीवन का कल!!-
चेतावनी है सबको सुनो, रखें अपने लफ्ज संभाल!
दिलों को चोट न पहुंचे, होय न कोई कलह जाल!!
जो दिलों में दर्द बिखेरें, शब्दों में जहर घोल!
उनकी सोच तंग है, करें न कोई भोल!!
रचनाएं प्यार से जन्मी, भावनाओं का रूप!
गंदे शब्दों से बचें, करें न कोई कुप!!
सीमाएं हैं सबकी अपनी, लांघें न कोई बंध!
दूसरों के दिल को दुखें, पाएं नहिं आनंद!!
जो लिखें दिल की गहराई, भावनाओं का मोल!
उनका आदर करें सदा, रखें नहिं कोई दोल!!
शब्दों में प्यार हो अगर, दिलों में खुशबू होय!
आंसू अगर दिखें किसी, दर्द है गहरा तोय!!
भावनाओं का आदर करें, इंसानियत का ध्यान!
प्यार और सम्मान से जिएं, मिटे सबका अंजान!!
चेतावनी है सबको सुनो, रखें अपने लफ्ज संभाल!
दिलों को चोट न पहुंचे, होय न कोई कलह जाल!!
प्यार और इंसानियत से,जग में नाम कमाय!
भावनाओं का आदर कर, सबके दिल में बस जाय!
भावनाओं का आदर करें, इंसानियत का ध्यान!
प्यार और सम्मान से जिएं, मिटे सबका अंजान!!-
मां बाप को धोखा दियो, पाओगे धोखा दान!
जो बोवै दर्द जगत में, काटै वही है प्राण!
मां की ममता ठुकराय के, बाप का प्यार भुलाय!
अंधेरे में जीवन करै, सुख की नहीं प्रभात आय!
बाप के हाथ पले जस, मां का आंचल शीतल!
छोड़ गये जब काम पड़ै, पछतायेंगे दिन रात चल!
मां बाप ने सब सहा सदा, बच्चों हित अपना ध्यान!
भूल गये जो आज करैं, पावैं दुख अति महान!
कर्मों का लेखा जगत में, न्याय होय अवश्याय!
मां बाप को धोखा दियो, धोखा खुद ही खाय!
सेवा करै जो मां बाप की, पावै जग में मान!
आशीर्वाद से सुख मिलै, होय जीवन कल्याण!
जो जन बिसरैं माता-पिता, भटकैं जग अंधियार!
दो दिन का जीवन फिरै, पछतायँ दिन चार!-
कुछ गीत गहरे अर्थों के लाकर हमने सबको मौन रखा!
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