एक दिन ऐसा आएगा
तुम ना कुछ देख पाओगे
कुछ ना तुम सुन पाओगे
रावण की मायाजाल में
कहीं गुम हो जाओगे
उस दिन कोई बिरेन सिंह आएगा
तुझे तेरी जाती पुछेगा
गिड़गिड़ाने वाले तेरे बाप का
सर उतार ले जाएगा
तेरी बहनों को हजारों के जुलूस में
जब वह निर्वस्त्र कर दौड़ाऐगा
तु बस स्तब्ध हो देखता रह जाएगा
तेरी निर्बलता पर अफसोस तक ना कर पाएगा
एक दिन ऐसा आएगा।-
Doctor by profession poet by heart 🤗
On the way to be un... read more
एक दिन ऐसा आएगा
तुम ना कुछ देख पाओगे
कुछ ना तुम सुन पाओगे
रावण की मायाजाल में
कहीं गुम हो जाओगे
उस दिन कोई टेनी आएगा
तुम्हारे बाप भाईयों पर
गाड़ी चढ़ा कर जाएगा
खुन के उस सैलाब में
ना तु हिंदू पहचान पाएगा
ना तु मुसलमान पहचान पाएगा
क्या दाह-संस्कार के लिए तक
तु अपनों के टुकड़े जोड़ पाएगा
एक दिन ऐसा आएगा।-
एक दिन ऐसा आएगा
तुम ना कुछ देख पाओगे
कुछ ना तुम सुन पाओगे
रावण की मायाजाल में
कहीं गुम हो जाओगे
उस दिन कोई ब्रीजभुषण आएगा
तुम्हारी मां बेटीयों के ऊपर
दुष्कर्म कर चला जाएगा
तुम आंखें बंद कर बैठे होंगे
निर्बलता के आशिष पर घिरे होंगे
खुद की नंपुसकता पर तु
आंसू भी ना निकाल पाएगा
एक दिन ऐसा आएगा-
हम भारत है हम India है
चाहे बन जाएं हिंदुस्तान
क्या फर्क पड़ता है उस गरीब को
जिसका ना हो कोई मकान।
हम भारत है India है
चाहे बन जाएं हिंदुस्तान
क्या फर्क पड़ता है उस किसान को
जिसके घर में ना बचा कोई धान।
हम भारत है India है
चाहे बन जाएं हिंदुस्तान
क्या फर्क पड़ता है उस भुखे को
जो खाता हो चुनकर कुडादान।
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स्वातंत्र्यता क्या है,
अंग्रेज़ों की गुलामी से लेकर
अपनों की गुलामी का सफर
स्वातंत्र्यता क्या है,
लड़ने की आजादी से लेकर
विचारों के बंदिशों का सफर
स्वातंत्र्यता क्या है,
वीरों के सम्मान से लेकर
नामों के बटवारों का सफर
स्वातंत्र्यता क्या है,
किसानों की भुखमरी से लेकर
फसलों की बीमारी का सफर
स्वातंत्र्यता क्या है,
अमीरों की हुक्मरानी से लेकर
ग़रीबों के पायदानों का सफर
स्वातंत्र्यता क्या है,
कानुन की बर्बरता से लेकर
कानुन की नाकामी का सफर
स्वातंत्र्यता क्या है,
स्त्री के चीरहरणों से लेकर
नग्न प्रदर्शनों का सफर
स्वातंत्र्यता क्या है
जीवन के मोल से लेकर
जीवन के खेल का सफर।-
स्वातंत्र्यता क्या है,
अंग्रेज़ों की गुलामी से लेकर
अपनों की गुलामी का सफर
स्वातंत्र्यता क्या है,
लड़ने की आजादी से लेकर
विचारों के बंदिशों का सफर
स्वातंत्र्यता क्या है,
वीरों के सम्मान से लेकर
नामों के बटवारों का सफर
स्वातंत्र्यता क्या है,
किसानों की भुखमरी से लेकर
फसलों की बीमारी का सफर
स्वातंत्र्यता क्या है,
अमीरों की हुक्मरानी से लेकर
ग़रीबों के पायदानों का सफर
स्वातंत्र्यता क्या है,
कानुन की बर्बरता से लेकर
कानुन की नाकामी का सफर
स्वातंत्र्यता क्या है,
स्त्री के चीरहरणों से लेकर
नग्न प्रदर्शनों का सफर
स्वातंत्र्यता क्या है
जीवन के मोल से लेकर
जीवन के खेल का सफर।
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उस इम्तिहा को पाने के लिए
कई, इम्तिहानों से लड़ गए
कुछ गिर गए तो कुछ सवर गए
उस मंजिल की आस में
कई ,मुश्किलों से घिर गए
कुछ डुब गए तो कुछ उभर गए
उस जिंदगी की दौड़ में
कई, राहों से गुजर गए
कुछ गुम गए तो कुछ निख़र गए-
किस तरह बया करू
मैं इस दर्द- ए -सफ़र को
जहां उम्मीद और मंजिल
हाथ फैलाए खड़ी है।-
क्यों ये लम्हे बेकार करे
दिल से दिल की तकरार करें
धड़कने तो बोल रहे बोली
थोड़ा लफ़्ज़ों से भी इजहार करें।-
ताबूतों पर तो खिल
कब के लग चुके
उन गुमनाम लाशों पें
तमाशों में तो लोग
सुर्ख़िया बटोर रहे है!
#FarmerKillings
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