30 SEP 2019 AT 21:23

"गाँधी बाबा तुमने हमको एक मौन हथियार दिया, दोनों गाल सूज गये लेकिन हमने ना वार किया ।
आदर्श तुम्हारे जिंदा है बड़े महान हो तुम बापू , संपूर्ण विश्व में भारत की एक पहचान हो तुम बापू ।।

स्वदेशी का नारा देकर दिन भर चरखा चलाते थे, देश का खर्चा ज्यादा ना हो आधा लैंप जलाते थे ।
आधी आज़ादी का बापू तुमको ही हक़दार कहूँगा, कोई विरोधी तेरा होगा मैं उसको गद्दार कहूँगा ।।

लेकिन देश के बटवारे पर बापू गुस्सा तन्न जाता है, गुस्से के बदले गोडसे का मंदिर बन जाता है ।
भारत माता की छाती पर चलता आरा रुका नही, सन 47 का बापू तुमसे बटवारा रुका नही ।।

तुमने बापू बोला था ये शाख नही छटने दूंगा, इंच इंच कट जाऊँगा पर देश नही बटने दूंगा ।
चंदा सूरज धरती अम्बर सारे ही शर्मिंदा थे, जिस दिन देश बटा बापू उस दिन तुम भी जिंदा थे ।।

वेह्शी दरिंदो के हाथो से महिला हुए खिलोने थे, कविताओं में क्या बताऊ कृत कितने घिनोने थे ।
चालीस लाख मृत लोगो का ज़िम्मेदार किसे लिखू, देश बाटने वालो में बोलो गद्दार किसे लिखू ।।

कितनी थी आँखें जो रोते रोते पथरायी थी, पूछ रही लावारिस लाशें जो कुत्तो ने खाई थी ।
हिंदुस्तान की माटी का परिवेश अधर में छोड़ दिया, बंटवारा करके भी बापू देश अधर में छोड़ दिया ।।

दो थप्पड़ के बदले में एक थप्पड़ तो मारा करते, अरे बंटवारा ही करना था तो ढँग से बंटवारा करते" ।


शब्द: कवि अमित शर्मा 😎

- Anand Kumar Singh