गुज़र गया जो तेरे बिन, वो साल था पुराना।
वर्ष की नवोदित रश्मियों में ,चाहता है तुमको पाना,
तेरी प्रपत्ति की ओर ,बढ़ते कदम रुकें नही अब।
नव वर्ष में प्रतिपल ,तेरे चरणों में अनुरक्ति हो ,मेरे कान्हा।।
।।आंग्ल नव वर्ष2023 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।।
🌺🌺 मङ्गलमयी शुभकामनाएँ🌺🌺-
हमें श्री रामचन्द्र व लखन लाल जी से भाई-भाई का प्रेम व सौहार्द सीखना चाहिए
आज के परिवेश में अति आवश्यक है।।
पालने में राम जी व लखन लिटाये गए।
लेटते ही करुणा सदन चुप हो गए।।
किन्तु लक्ष्मण कुछ ऐसा तेज रोये उन्हें
रोता देख धरती गगन चुप हो गए,
राजवैद्य आए कोई रोग न बता सका तो।
ज्योतिषी भी करके यतन चुप हो गए।।
गुरु ने उठाया और लखन को राम के,
चरण में लिटाया तो,लखन चुप हो गए।।
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अनुकल्पनीय परिवेश में प्रवेश कर गये।
कुछ सहमे ठिठुक कर पैर थम गये।
अपनों में ही अनजानी सी भेंट का नज़ारा प्यारे,
व्यथित व्याकुल चित्त पर बृहद व्रण कर गये।।-
साल का आख़िरी दिन था,जो तेरे बिन गुज़र गया।
साथिया !बीते लम्हों की तरह,तू भी कहीं बिछड़ गया।
तेरे रुख़सार के तिल पर, मदहोश सा रात भर जागता रहा,,
जब तू साथ ही नहीं तो, नया साल क्या ख़ाक मनाया जायेगा।।-
शाखियाँ,मशवरे न जाने कितने मिले हैं,तेरी नफ़ासत के मुझे,
नटखट तेरी मिलने की रज़ा क्या है,ये तो बता दे मुझे।
साँवरे!तेरे सज़दे में इबादत करने का,फैसला किया है हमने।
गर क़ुबूल है तो सामने आ जा मेरे,क्यों दरकिनार किये बैठा है मुझे।।-
साँवरे!तेरे मिलने की चाह ने दीवाना बना दिया मुझको,
बरसों की चाह ने अब जा कर मिलाया है तुझको।
कहतें है,जिसे चाहो पूरी कायनात जुट जाती है,मिलाने के लिए,
जो खुद ही कायनात को बनाता है,फिर किससे मदद मांगे ये बता दो मुझको।।-
समंदर हैं तो दरिया की तरह हम बह नहीं पाते,
हमेशा मुस्कुराते हैं मगर खुश रह नही पाते।
शहर में इतनी इज्ज़त का बड़ा अफ़सोस है हमको,
हमें तकलीफ़ हो तो हम किसी से कह नहीं पाते।।-
साँवरें तेरे दीवाने बने बैठे हैं,
न जाने कब दीदार हो तेरा,आस में पलकें बिछाये बैठे हैं,
मुक़द्दर है तू मेरा और बस,तुझे पाना ही मेरी चाहत है
कभी तो अपना बनाओगे मुझको,
इसी आरजू में दाँव पर अपना सब कुछ गवाए बैठे हैं।।
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एक वो दौर था कि जब कोई अपना रास्ते में भी मिल जाता था तो गले लगाकर हाल पूछा करते थे लोग,
और एक ये दौर है कि चौखट पर आये अजीज़ को देख कर मुँह फेर लेते हैं लोग,,,,,
वाह रे कोरोना क्या क्या दिन दिखा रहा है तू,,,,,-
अगर ये सच है,कि मोहब्बत तुमनें भी की थी,बेपनाह हमसे,
तो वो क़त्ल की रात आज भी याद है हमकों,जब बेवफ़ाई का ख़ंजर घोंपा गया था सीने में मेरे,
मेरी लाश के ऊपर जो बनाया गया है आशियाँ तेरा, कम्बख़्त क़ब्र में भी एहसास होता है क़दमो के तेरा
फ़िक्र है तो सिर्फ़ तेरी मुझकों,एक बात बताओ!आशियानें में जिसके साथ रहती हो,क्या वो भी प्यार जताता है बेहतर हमसे।।-