मैं उस सीढ़ी से फिसला, जिसके ठीक बाद छत आनी थी।
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Anand
(~A)
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Joined 11 June 2019
26 MAR AT 21:13
भली सी एक शक्ल थी
भली सी उसकी दोस्ती
अब उसकी याद रात दिन....नहीं, मगर कभी कभी-
29 JAN AT 21:49
जिक्र तुम्हारा हम किसी मफिल में नहीं लेते
जो तुम तक ले जाए उन रास्ते पर अब हम चलते नहीं।
छोड़ो क्या याद करना तुम्हें
जिनका अंजाम पता हो उन कहानियों को हम अब पढ़ते नहीं-
5 JAN AT 17:32
मैं तुम्हें भूल चूका हूं....
और मुझे हर वक्त याद रहता है कि
मैं भूल चुका हूं तुम्हें !-
2 OCT 2024 AT 20:13
जो बात तुझ में थी वो किसी और में नहीं, लेकिन जो बात तुझ में थी वो अब नहीं
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2 SEP 2024 AT 21:57
सभी को सब कुछ नहीं मिलता इस सफ़र में,
कोई मंज़िल पाता है, कोई राहों में खो जाता है।
किसी की ज़िन्दगी बन जाती है परियों की कहानी,
और किसी का हर ख्वाब अधूरा रह जाता है।-