जिंदगी एक ख़ुशनुमा हवा का झोका है,
जहाँ हर प्रहर कुछ नया सीखने को रहता है ..
अभी व्यस्त हूँ अनसुलझीं-सी किताब पढ़ने में,
जिसका नाम सभी ने सफ़र-ए-जिंदगी रखा है ..
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I like to build my personality..
I'm a simple person..
मेरी ... read more
अपना-अपना कहते रहते थे मुझे वो मेरे सामने;
पीठ पीछे मैंने जाना वो बस फ़रेबी-बेवफ़ा है..
फ़क़त मैं ठहर गया था उनकी दोस्ती के नशे मे,
महज़ मेरी सादगी का फ़ायदा बहुत उठाया गया है..
वो नहीं जानते ये शक़्स तो मन से वैरागी है,
ख़ुद की दुनिया में ही वो मसरूफ़ रहता है;
भीड़ की तन्हाई के मंजर से मुसाफ़िर ने ख़ुद को निकाल लिया है!!-
इंसान हूँ,
कभी परेशान तो कभी ख़ुशनुमा भी हूँ ।
जिंदगी के हर लम्हें को जीता भी हूँ,
ख़ुद की तलाश में रहता भी हूँ ।
मुसाफ़िर लगा रहता है सभी को ख़ुश रखने को,
बस ख़ुद की हँसी के लिए घूम लेता भी हूँ ।
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एक लड़की है चहचहाती हुई सी,
विचारो मे बहुत प्रभावशाली सी..
सजी-सवरी लगती है परियों सी,
जब कुछ कहे मन को मिलती शीतलता सी..
यू तो ज़्यादा बात नहीं होती हमारी,
जब भी मिलते लगता है शदिया बीत जाए इस पल मे..
उसको बयाँ कैसे करूँ शब्दों मे?
उसमे गहराई पाता हूँ समंदर सी..
जब भी थक जाता हूँ उसको बस निहारना चाहता हूँ,
उसके माथे की बिंदिया को चूमना चाहता हूँ..
उसकी झुल्फ़ो को सवारना चाहता हूँ,
बस उसकी बातो को सुनते हुए मदहोश रहना चाहता हूँ..
फ़क़त कह सकता हूँ सुकून की तलाश को मुक़ंबल करता हूँ,
ख़ुद के बचपन को उसकी पनाह मे जी लेता हूँ..
उसकी मुस्कान के पीछे छिपे लाल चेहरे को देख पाता हूँ,
निगाहों के मिलते ही उसकी ख़ामोशी को सुन पता हूँ..
वो प्रयास करती है मेरा रास्ता रोकने की,
मुसाफ़िर भी ठहर गया है उसकी मासूमियत को देख के..
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कभी-कभी कुछ खोजता हूँ,
फ़क़त सबकुछ है पास मेरे!!
फिर भी ना जाने क्या दूढ़ता हूँ..
कुछ तो है अभी शेष पाने को,
इसलिए कुछ बेहतर चाहता हूँ..
अब धीरे-धीरे समझने लगा हूँ,
जो कुछ पाया अब तक सब मोहमाया था,
असल सत्य तो ख़ुद में खो जाना था..
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ज़िन्दगी के तजुर्वे ने बहुत सिखाया है,
अक्सर मैंने अपनों से धोका खाया है…
लगने लगा है अकेला हो गया हूँ,
मुसाफ़िर को तन्हा सफ़र अच्छा लगने लगा है…-
ज़िन्दगी के सफ़र ने,
ना जाने क्या-क्या सिखाया है..
अनगिनत किताबे पढ़ी थी मैंने,
ज़िन्दगी के चंद पन्नो मै;
उन किताबों से ज़्यादा पाया है ..
महज़ अब लफ़्ज़ो को नहीं समझा मैंने;
उनके किरदार को समझने का तोहफ़ा पाया है..-
ज़िन्दगी एक हवा का झोका है,
छोटी सी चिंगारी को बना सकती शोला है..
मन के हर भाव को प्रदर्शित करती है,
ये पवन नहीं धरातल की ये अंतर्मन का झोका है..
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देख लिया बहुत,
किसी की परवाह करके..
साये की तरह,
हर प्रहर उसका साथी बनके..
चाहा था हर पल मैंने,
हर समस्या दूर रहे उससे..
इसके खातिर ख़ुद को भी,
दूर किया था उससे..
फिर भी वो मोल ना समझे,
फ़क़त अब दूरी बेहतर है उससे..
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ए-जिंदगी बड़ी रफ़्तार से सिखा रही है,
हर प्रहर को जैसे तू चमका रही है..
ये फ़लसफ़ा ना सीखा था जीने का,
जिसे हर रोज़ तू बतला रही है..
लग रहा है ऐसा कि कोई,
विकट स्थिति के लिए मुझे तैयार कर रही है..-