Anamika verma   (अनु- कुछ अनकहे किस्से)
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Joined 30 March 2020


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18 JAN AT 9:18



हाय ये ठंडी का मौसम और ये सर्द हवाएं
चलिए संग बैठ कर चाय की चुस्की लगाएं

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18 JAN AT 9:11






चांदनी रात और इन तारों की बारात
तुम्हारी याद आना है इकलौता जज़्बात

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13 JAN AT 1:41

अवध के दूर हुए अंधियारे
चमक उठे अयोध्या के गलियारे
सजे सरयू के सभी पुण्य किनारे
भक्त सब बस राम राम ही पुकारे
चमक उठे रोशनी से हर घर और द्वारे
कठिन वनवास के बाद राम हैं पधारे
प्रभू के चरणों में हैं अर्पित नर सारे
सबकी बिगड़ी अब राम आप ही सवारे

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12 JAN AT 16:06

राम राम तो सब कहे पर राम को समझे ना कोय
इक पितु वचन पे जो सिनहास तजे सो सीतापति होय
कोटि कोटि वो कष्ट सहे पर मर्यादा विहीन ना होय
करुणा निधान वो मर्यादा पुरुषोत्तम राम चन्द्र जी होय

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24 APR 2020 AT 0:09

Just the combination of words without the essence of this person......

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8 JUL 2021 AT 22:34

तरक्की की हर सीढ़ी चढ़ो तुम
सबसे ज़्यादा आगे बढ़ो तुम
हर ज़िम्मेदारी पूरी करो तुम
और ताउम्र मुस्कुराते रहो तुम





Happy bday krishna

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25 JUN 2021 AT 23:14

ग़र मसअला सिफ़त वक़्त का होता ऐ ग़ालिब
तुम्हारी कसम क़तारें कभी ख़त्म ना होती....

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12 JUN 2021 AT 23:23

किससे करूँ शिकायतें या ग़िले करूँ अब मैं किससे
ज़रूर हर दफ़ा कोई ख़ता हो जाती होगी महज़ मुझसे
किस्मत में मेरी बस रह जाते हैं सिफ़त आँसू ही जिससे
ख़लिश क्या रह जाती है मुहब्बत में ये अब पूछूँ तो किससे

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9 MAY 2021 AT 12:42

हज़ारों की भीड़ में भी एक तेरे बिना पूरा घर सूना लगता है
पता नहीं क्यों माँ तेरे जितना ना कोई मुझे अपना लगता है

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6 MAY 2021 AT 13:04

दिल में दर्द भरकर होठों से मुस्कुरातें हैं कैसे ।
दिल के सब जज़्बात दुनिया से छिपाते हैं कैसे।।
ये बेज़ुबान बेपरवाह मंज़र-ए-इश्क़ हैं ही ऐसे ।
दिल की गुस्ताखी की सज़ा आँखें पाती हैं जैसे।।

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