और वो हसीं शाम
दोनों बस यादों में रह गया है
वो एक ही कप चाय
साथ में तुम्हारे
बस याद बन गया है-
अपना दर्द भी बेहिसाब लिखती हूं
हर जगह माफिल में बदनाम किए है लोग
और मैं फिर से दिल लगा बैठी हूं
शायद कसर कुछ अब भी बाकी रह गए थे
जो सब कुछ भुला बैठी हूं
-
तेरा चाहिए
तू खुश हो जाए वो ख़वाब तेरा चाहिए ।
हर पल होठों पे मुस्कान तेरा चाहिए।
तू कहे तो सब कुछ वार दूं तुझपे अपना ,
बस जिंदगी भर साथ तेरा चाहिए।-
सजदे में उनके हम सर झुकाते गए,
मालूम था अंजाम हमें,,
फिर भी हम खुद से छिपाते गए |
मजबूर थे दिल के हाथों हम भी,
वो तो पराया समझते थे हमें ,,
और हम थे कि इश्क़ निभाते गए |
-
मुद्दतों बाद दुबारा इश्क किया मैंनें,
और फिर से हम हार गए |
कदमों में उनके हम जहां रखना चाहे
और वो मुझे ही आजमा गए |
हम जिसको मोहब्बत समझ रहें थे
वो ही इसे व्यापार बना गए |-
आज किस ओर आ गए हैं
ना कोई अपना है
और ना कोई अपना सा,
वक्त ने मंजिल तो नहीं दी
मगर रास्ते में काँटें
जिसने बिछाए
वो सब सामने आ गए-
जमाने से क्या शिकायत करूं मैं अब
जब मेरे अपने ही साजिशें बुन रहें हैं-