Anamika Singh   (©अनामिका)
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Joined 20 January 2020


Joined 20 January 2020
6 JUL 2023 AT 0:44

इश्क के पल सनम थे हसीन ख़्वाब से,
जब दो दिल मिले किसी खुली किताब से।

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15 AUG 2022 AT 10:51

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26 JUN 2022 AT 21:26

!! शिव स्तुति !!

"कंकर-कंकर शंकर हैं।"
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अनुशीर्षक में..

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8 JUN 2022 AT 13:24

कभी चाँद संग हँसी-ठिठोली में डूबे अफसाने थे,
यूँ इतनी समझ कहाँ से लाये तुम तो इक दीवाने थे!

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8 JUN 2022 AT 13:00

अक्सर ढूँढ लाता है मिरे जज़्बात बाँहों में सजाकर,
सच,कुछ रिश्तों की आग़ोशी लफ़्ज़ों की मोहताज नहीं।

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8 JUN 2022 AT 12:40

अब न धुआँ न आग न साँसों की गर्मी है,
कभी कोई घर बसता था वहाँ उस राह में।

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30 MAY 2022 AT 23:08

दीदार-ए-इश्क़ कर निकला शहर से कमज़र्फ कोई,
कि अहल-ए-ज़र्फ़ सा न बचा है होठों पे अब हर्फ़ कोई।

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5 MAR 2022 AT 21:43

कागज़-कागज़ पन्ने-पन्ने नज़्म न जाने कितने उभरे,
हर एक नज़्म हर एक दफ़ा उन नज़्मों में तुम ठहरे।

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8 FEB 2022 AT 23:42

°°° त्रिवेणी °°°

फ़लक के सैर को निकली थी उसकी निगाहें आज,
कि टूटा ख्वाब कोई औ' बिखरी रह गई आवाज़।

कविताएं औरत हो गईं हैं मेरी..
मोहब्बत नहीं औरतें लिखती हैं।

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8 FEB 2022 AT 23:01

°°° त्रिवेणी °°°

कोई अक़्स उभरा है मिरी कलम से आज,
जैसे अश्क़ ठहरा हो किसी किनारे आज।

आज स्याही ने तस्वीर नहीं औरत जना है।

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