तेरी प्रीत बिन सब सुना
जैसे वीराना जंगल
वहां ना हवाएं गुनगुनाती है
ना पक्षी शोर मचाते
ना नदिया ना झरने
बस एक पानी का ठहराव
उसमें दिखती चुपचाप से
खड़े पेड़ों की तस्वीरें
सूखे पत्ते और टहनियों के साथ
कुछ किनारे खड़े जंगली बेले
जो उन सूखे पेड़ों को
सजाने की कोशिश में
गिरती और चढ़ती है
बिल्कुल तुम्हारी यादों की तरह
जैसे तुम्हारी यादें
होठों पर मुस्कुराहट
सजाने की कोशिश करते
तो कभी मेरी आंखों में
आशा की किरणों से भर देते-
यादों की गलियां रे में
एक शाम ठहरती है
रोकना चाहें मगर कहां रुकती है
ठहरती कुछ सांसों के साथ
जाती धीमी धीमी बहते अश्कों के साथ
वह शाम ठहरती है
ठहर के जो रूकती नहीं
उसके कदमों के निशान पर
हजारों ख्वाहिशें का बसेरा
मैं उसे महसूस करती हूं
और उस पल में जीती हूं
वह ठहरी हुई ............-
भूख ऐसी की भूख
मिटाते -मिटाते
इंसान को मिटा दे
ख्वाबों की बदहाली
अश्कों को पिरोई है
इन मोतियों से
भूख कहां मिटती है
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तुम इंतजार लिए बैठे
इंतजार रह गए
मैं दिल में सुकून लिए फिरता रहा
मस्त रहा
दिल में
तुम समा बैठे
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अलविदा
महसूस करते हुए पल को अलविदा
सूरज हवा अलविदा
चांद तारे आसमान धरा माँ अलविदा
यह भी कहने का वक्त
एक दिन आएगा
स्पर्श रहित स्वीकृति भी लेने का वक्त आएगा
यह जीवन फिर से जीने का वक्त आएगा
अलविदा कहने का वक्त आएगा
अलविदा अपने बुने हुए रिश्ते के
गरमाहट को काश़
कहने का वक्त आएगा-
दिल में एक खूबसूरत सा कोना
जहां मुस्कुराहट और मासूमियत के
ढेर सारे सुनहरे बक्से
जिसे रोशनी और
गूंजती हंसी की
आवाज आती रहती है
ज़हन को तरोताजा कर जाती है-
वह शाम ठहरा हुआ सुकून
मेरी सांसों में घुल
कहां गुम हो गया
मेरा शहर ले गया वो
अब जो लौट कर आया है
तो पूरा शहर खाली है-
सुनसान सा चुपचाप
दहलीज का दरख़्त
पत्तों के गिरने की
आवाज सुनाई पड़ती है
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