प्रेम चाहे अधूरा रह गया हो,
कविता उसका बाँहे फैला,
स्वागत करती है..
इक वहीं तो है जो मन की,
व्यथा को हर्फ़ में पिरो,
सभी केे प्रेम को पूर्ण करती है,
चाहे झूठ ही सही,
वैसे इसमें बुराई ही क्या है,
ना किसी की हानि होती है,
कागज़ कलम को अल्फ़ाज़ मिल जाते है,
और...
कातिब़ को उसको..
प्रेम..- My words #Anamika
25 DEC 2018 AT 18:51