किया है तुम्हें मैंने अपनी दुआओं में शामिल
पर डरती हूं दिल की बात जुबां पर लाने से
कि कहीं तेरी रुसवाई ना हो जाए यूं जमाने में
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जो होता है अच्छे के लिए होता है
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21 December
लगा कर रंग चेहरे पर
हर गुनाह छुपा लेते हैं
भगवान बनने की चाह में
इंसान भी बने ना रह पाते हैं-
लेकर हाथों में हाथ,जी ले जिंदगी के कुछ पल ये ख़ास
ना जाने कितने मन्नतों के बाद, मिला है दिलबर ये ख़ास-
इन मस्त आंखों के सागर में ना जाने उतरे कितने
कोई डूब गया बीच भंवर में,तो रह गया कोई आके किनारे पर-
कुछ ना हो कर भी सब कुछ बन बैठे हैं आप
कुछ पलों के साथ से लेकर जिंदगी भर के लिए
मेरे हमसफर बन गए हैं आप-
मिलेंगे जिंदगी के सफ़र
में तुम्हें साथी कई
पर कोई मिले मुझ सा
तुम्हें तो फिर कहना-
बहुत दर्द है सीने में
पर कहें तो कहें किससे
हर शख़्स ही है यहां ग़मजदा-
बहुत कुछ ज़्यादा भी ना था हाथों में मेरे
बस कुछ चंद लकीरें
और उन लकीरों में था नाम तुम्हारा-
धीरे धीरे ये रस्ते ये गलियां
सब के सब खो जाएंगे
हम बने थे कभी
एक दूजे के वास्ते
ये दास्तां भी कहीं
कहानियों में गुम हो जाएगी-
किसी के याद में
यूं छुप छुप कर रोना
जाने वाले चले गए
कर खाली दिल का
हर कोना कोना-