2 JUN 2018 AT 12:39

तुमने पलकों पर फ़क़त बूंदें देखी है
अंदर के समन्दर का तुम्हें इल्म नहीं
नफ़रतों को जो पनाह दे रक्खा है जाना
मुहब्बत पर सरासर क्या ये जुल्म नहीं?

- Kavyana अनामिका ঘটক