तुमने पलकों पर फ़क़त बूंदें देखी हैअंदर के समन्दर का तुम्हें इल्म नहीं नफ़रतों को जो पनाह दे रक्खा है जानामुहब्बत पर सरासर क्या ये जुल्म नहीं? - Kavyana अनामिका ঘটক
तुमने पलकों पर फ़क़त बूंदें देखी हैअंदर के समन्दर का तुम्हें इल्म नहीं नफ़रतों को जो पनाह दे रक्खा है जानामुहब्बत पर सरासर क्या ये जुल्म नहीं?
- Kavyana अनामिका ঘটক