करना पहले मुहब्बत सीख लीजिए,
सह सकोगे कितना अपना देख लीजिए।
दिल की गहराई में उतरना बाद में,
जाइए जाकर पहले तैरना सीख लीजिए।
टूटना बिखरना ख़ुद ही आ जाएगा,
अच्छा होगा हद से गुज़रना सीख लीजिए।
जोशो जुनूॅं ख़ुद ही पड़ जाएगा ठंडा,
रोज़ एक ही देखना चेहरा सीख लीजिए।
इतने पे दिल दे गवाही नेकी कर उसे,
कहे अन्नम दरिया में डालना सीख लीजिए।-
मोहब्बत को तेरी क्या नाम दूॅं,
रोज़ रोज़ ही मैं क्या ईनाम दूॅं।
तेरी मोहब्बत मेरी जन्नत प्रिये,
इतनी ही की और पहचान दूॅं।
सोते जागते तुम्हीं आते नज़र,
कम लगे सांसों को विराम दूॅं।
हुक्म करें हुज़ूर इस दिल को,
और क्या-क्या मैं फ़रमान दूॅं।
इससे ज़्यादा दिले बेताब को,
कहे 'अन्नम' मैं क्या आराम दूॅं।-
हिन्दी हमारी सबसे महान,
भाषाओं में सबसे आसान।
शिष्टाचार हिन्दी से सीखा,
ऊपर इसका सबसे स्थान।
घाव पर इसे मरहम समझो,
सच्चा इसका सबसे ईमान।
हिन्दुस्तानियों की यह शान,
इसका अलग सबसे बखान,
सूर्य सा प्रताप अन्नम लिपि,
इसकी है सबसे आलीशान।-
एक ख़्वाब है जो ऑंखें तर हर रोज़ करता है,
के प्यासे रहते नहीं मेरे अधर इतना चुभता है।-
विधि का विधान भी अलग ही है,
नियति का निज़ाम अलग ही है।
हमारी सोचपर पड़े हरबार भारी,
इसका ज्ञान, विज्ञान अलग ही है।
अकस्मात की है ये जननी इसकी,
मोह ममता और दया अलग ही है।
बड़ी ज़िद्दी है नियति इसके घेराव,
पानी के ठहराव से अलग ही है।
इसकी दंड व्यवस्था कहे "अन्नम"
कि इसका न्याय कुछ अलग ही है।-
कि टूट जाएंगे संगदिल तुम जैसे जैसे तोड़ोगे,
रंगे इश्क़ आएंगे निखरकर जैसे जैसे छोड़ोगे।-
पलकें अश्कों से तरबतर सब उनकी ही मेहरबानी है,
सच कहते लोग इश्क़ में लाभ नहीं हानि ही हानि है।-
गर कभी मेरी ऑंखें सूज़ी सुर्ख़ दिखें,
तो समझ लेना तुम कहीं बंट रहे हो।-
हाथों में अपने मरम्मत का सामान रखिएगा,
कि टूट जाता है दिल ज़रा ज़रा सी बातों में।-