चाह कर जो चाहता तूझे,
दिल भी मेरा, होता नीला |
राह पर जो पाता मैं तुझे,
खत्म कभी न, होता सिलसिला ||
तुम भी सोचो ज़रा, यूं न हैरान हो,
बात सच है ये भी, जितना सच फासला,
तुम भी खोजो ज़रा, यूं न परेशान हो,
बात उतनी ही है, जितना है फासला |
राह भर की है बस तन्हाई जीवन की,
थोड़ा मुश्किल सही, करना तुम फैसला,
राह पर जो पाता मैं तुझे,
शायद कभी न होता गीला ||
चाह कर जो चाहता तूझे,
दिल भी मेरा, होता नीला |
राह पर जो पाता मैं तुझे,
खत्म कभी न, होता सिलसिला ||
तुम भी देखो ज़रा, यूं न हैरान हो,
जज़्बात सच है ये भी, जितना सच फासला,
तुम भी समझो ज़रा, यूं न परेशान हो,
बात उतनी ही है, जितना है फासला |
राह भर की है बस तन्हाई जीवन की,
थोड़ा मुश्किल सही, करना तुम फैसला,
राह पर जो पाता मैं तुझे,
शिकवा कोई, न होता गीला ||
चाह कर जो चाहता तूझे,
दिल भी मेरा, होता नीला |
राह पर जो पाता मैं तुझे,
खत्म कभी न, होता सिलसिला ||-
अगर जो, समय को बांध सकता,
कैद रखता, जो इसको कहीं,
बीती राहों को जो दोहरा सकता,
साथ, तेरे कदमों के, संजोता सभी ।
आहट धड़कनों की जो होती,
मेरी चाहत की हर वो घड़ी,
लम्हे अनसुने, सब ही होते,
तुमसे जुड़ती, हर वो कड़ी,
लिफाफे में भर उनको रखता,
किताबी पन्नों के बीच कहीं ।।
अगर मैं, जो कुछ भी कह सकता,
शायद तुमसे कहता यहीं,
बीती बातों को जो दोहरा सकता,
टूटे वादे, बिखरे खत भी सभी ।
रंगत मुस्कानों की जो होती,
प्याली चाय की वो, साड़ी नीली हरी,
वाकिए अनकहे, सब ही होते,
आंखें नम, आंसू से भरी,
सपनो में सजा उनको रखता,
सिरहाने तकिए के नीचे कहीं ।।
अगर जो, समय को बांध सकता,
कैद रखता, जो इसको कहीं,
अगर मैं, जो कुछ भी कह सकता,
शायद तुमसे कहता यहीं ।।-
तेरी, हर रूप का एक दीवाना,
उसकी ही दुनिया दीवानी,
दर्शन को तेरे, दुनिया है तरसे,
हर कस्बे का पानी l
तेरी, हर बात का एक फ़साना,
उसकी ही दुनिया दीवानी,
लब्जों को तेरे, तराने है तरसे,
हर शक्स रूहानी l
तेरी, हर रंग का एक माहिर,
उसकी ही दुनिया दीवानी,
बहारों को तेरी, दुनिया है तरसे,
हर दर की कहानी l
तेरी, हर चर्चे का एक आशिक़,
उसकी भी कायल जवानी,
तरानों को तेरी, लब्जें है तरसे,
हर पंक्ति सयानी l
तू और तेरे हर चहेते,
बूंदे सारी आसमानी,
दिल में झिझक से, तब और अब से,
पलकों से रिसता पानी ll-
नीले अम्बर में, जहां सागर दूर जा मिले,
मन बन पंछी, उड़ा चला जाए ।
तेरी आवाज़ में, तेरी तलाश में,
हदें जीवन की, भुला चला जाए ।।
उलझे पतंग सारे, भावना से तंग सारे,
सुलझे डोर, सारे उसमे समाए ।
कस्ती किनारे खड़े, जज़्बात बड़े बड़े,
भाव विभोर, वो भी सब्र आज़माए ।।
नीले सागर में, जहां अंबर दूर जा मिले,
मन माझी मेरा, बहा चला जाए ।
तेरी आवाज़ में, तेरी तलाश में,
हदें जीवन की, भुला चला जाए ।।-
तन्हाई सही, कल भी तो हम थे तन्हा,
तन्हाई सही, कल भी तो हम थे तन्हा,
कुछ लोग मिले जो सफर में, उन्हें चाहत ने खूब चाहा,
कुछ लोग मिले सफर में, उन्हें हमने ने भी खूब चाहा,
कुछ लोग मिले सफर में, आदत से खूब चाहा,
वो भी हमें किसी दौर में फिर मिले तो हो अच्छा ।
तन्हाई सही, भीड़ में भी तो मैं तन्हा,
तन्हाई सही, भीड़ में भी तो मैं तन्हा,
किसी रोज़ मिले जो तुमसे, दिल ने है खूब चाहा,
किसी रोज़ मिलूं तुमसे, हमने ने है खूब चाहा,
कुछ पल मिले जो सफर के, चाहत में हमने खूब चाहा,
तुम भी हमें किसी दौर में फिर मिलो तो हो अच्छा ।
तन्हाई सही, कल भी तो मैं तन्हा,
तन्हाई सही, भीड़ में भी तो मैं तन्हा,
अफ़सोस अदा की शामिल, गुरब-ते-गैर समा,
अफ़सोस सज़ा की तामिल, गुरब-ते-गैर मैं तन्हा,
किसी रोज़ मिलूं तुमसे, हमने ने था चाहा,
कुछ पल मिले जो सफर के, साथ हमने खूब चाहा,
तुम भी हमें किसी रोज़ फिर मिलो तो हो अच्छा ।
-
সারা পৃথিবী ঘুরে দেখতে কার না ভালো লাগে!!
ঘরকুনো ধূসর ধুলো,
তবে সামলে রাখিস স্মৃতি গুলো, সব এক কাটবাক্ষে,
আর ভুলে যাওয়া কথা গুলো ।-
अभी खुद को मैंने बस संभाला ही था,
की तुमने हरकत कर दी,
देख रेख कर, लोगों की नजरो से बचते बचाते,
मैंने अभी तीन कदम लिए थे, तुमसे दूरी बड़ाते हुए,
की तुमने तराना छेड़ दिया,
तरकश से जब निगाहे निकाल शिकार करती हो मेरे सब्र का,
खूबसूरती ज़माने से भी ज्यादा ज़ालिम मालूम होती है तुम्हारी,
दिल तो सब हारते होंगे तुमपे, मैं तो चैन भी हार चुका हुं,
हम अजनबी ही अच्छे थे,
तुमसे मिल कर लौट जाने को जी नही करता,
अभी खुद को मैंने बस संभाला ही था,
की तुमने हरकत कर दी ।-
कोई नाम नही है, कोई नाम रखा भी नही है,
समझ के सामयिक पहरों के दायरों से उनमुक्त,
समाज की आनुमानिक सीमाओं के भी पार,
जब दिन की अनुशासीत घड़ी की सुईयां फेर बदल अपनाती है,
सांझ के करवट के साथ, मुंदी आंखों के चहेते,
मेरे अंतरमन की बहिरमुखी दीवारों पर रेंगती, खेलती,
छत से लटकते पंखे के पंखों से कटते, उलझते,
कुछ ख्याल यूँही जूझते है, पहेलियाँ बुझते है,
फुरसत के तंग लम्हों में अक्सर मैं उन्हें पहचान तो लेता हूँ,
उनका कोई नाम नहीं है, किसी ने कोई नाम रखा भी नही है,
शायद तभी उनके बिन भी जीने में ज़्यादा तकलीफ नही होती,
किसी व्यक्तिगत दराज में चाभी की ज़रुरत भी नही होती,
खुले पन्नों सा सादा जीवन, और उसके अंत की सिहरन,
किसी भी पहलू का कोई खास अंजाम नही है,
उनका कोई नाम नही है।-
कह लो, सुन लो, गैर न कोई यहां,
कह लो, सुन लो, मौका अभी यहां ।
कह लो, सुन लो, करलो बात बयां,
कह लो, सुन लो, मौका अभी यहां ।।
बातें रातें यादें, बाकी सब ही है,
रिश्ते चाहत नाते, बाकी अब भी है ।
भूले बिसरे वादे, संग तो रब भी है,
तन्हा चांद सितारे, वो तो अब भी है ।।
कह लो, सुन लो, गैर न कोई यहां,
कह लो, सुन लो, पल जब रहे जवां ।
कह लो, सुन लो, करलो बात बयां,
कह लो, सुन लो, पल जब रहे जवां ।।
बीते दिन फरियादें, बाकी सब ही है,
किस्तें चाह बुनियादें, बाकी अब भी है ।
पल पल की कहानी, साथ अब भी है,
एकाकी बरसाते, वो तो अब भी है ।।
कह लो, सुन लो, गैर न कोई यहां,
कह लो, सुन लो, पल ये अब यहां ।
कह लो, सुन लो, बात कर लो बयां,
कह लो, सुन लो, पल ये अब यहां ।।-
दस्ताने जनाब के
बेहद तो नही कुछ कम ही है,
शायद, गिनु तो एक ही शाम,
महफ़िल दोस्तों की, अजनबी बस हम ही है,
शायद, मिलूँ एक ही शाम,
झुकती, बहकती, बहकाती पलकें,
खिली जीवंत सहज हँसी की झलकें,
शायद, हो कोई अंजाम,
बेहद तो नही कुछ कम ही है ।
शायद दोस्ती के अरमान,
महफ़िल दिलबरों की, अजनबी बस हम ही है,
शायद बंदगी के फरमान,
रुकते, बहकते, बहकाते सांसे,
उम्मीद में तड़पते झुलसते झांसे,
शायद, हो कोई अंजाम,
बेहद तो नही कुछ कम ही है ।-