मसला ये नहीं के आज उसने हिज्र मांगा.
मुद्दा ये है के अब उसे नफ़रत भी चाहिए.
जिसे बेवफ़ाई करने में कोई हर्ज़ न हुआ.
बदले में उसे हमारी उल्फ़त भी चाहिए.-
जनम होगा, जवाँ होगा, एक दिन पैरों पे खड़ा होगा
भूला अगर माँ बाप को तों ये पाप सब से बड़ा होगा
चाहे कितना भी आगे बढ़ जाए, उनसे उपर कोई नहीं
गर रुलाया उनको कभी, तों तेरा जीवन भी कड़ा होगा
इतने जतन से, मन से, जिस माँ ने तुझे पाला था
9 महीने अपनी कोख़ में तुझे इतना संभाला था
उस माँ की आत्मा को सताना, अच्छी बात नहीं
जिसने हर मुश्किल से तुझे हर दम निकाला था
हिम्मत से, होंसले से, जिस बाप ने काबिल बनाया
हर राह, हर मोड़ पे तेरे मन का हर सपना सजाया
उन से नजरें चुराना, दिल दुखाना, अच्छी बात नहीं
जिस बाप ने तेरी हार को बिना कुछ सोचे अपनाया
दौलत होगी, शोहरत होगी, चाहे रुतबा बड़ा होगा
गर भूला माँ बाप को तों वख़्त बहोत कड़ा होगा
कितनी भी मिलकियत हों, उनके आगे कुछ नहीं
तेरे बूरे वख़्त में उनके सिवा कोई नहीं ख़ड़ा होगा-
तेरा ठुकराना, मजबूरी थी, खुद को समझाता रहा हूँ मैं !
मेरी ना मंज़ूरी, मेरे मन के जज़्बात छुपाता रहा हूँ मैं !
वफ़ा से बेखबर हो कर मत आना, गुज़ारिश थी मेरी !
कुछ इस तरह उसे हर बार मिलने बुलाता रहा हूँ मैं !
रुह ने तलाशें हक़ीक़त के दरिया में वस्ल के मोती
उम्मीद की पतवार लिए, वख़्त गुज़ारता रहा हूँ मैं!
किए वादों की लहरों से तकराता रहा सफ़र मेरा
दिलासे के दौर में इंतेज़ार बा-अदब निभाता रहा हूँ मैं!
शिकवों ने घर बनने नहीं दिया इश्क के मोहल्ले में
फिर भी इबादत की दिवार को मज़बूत करता रहा हूँ मैं!
कभी सुन लेगा वों मेरी आवाज़ मेरा बुलावा एक बार
इस ख़्वाब के सहारे अपने दिन रात बिताता रहा हूँ मैं!-
ज़िक्र ना सही कभी दिखू तों पहचान लेना !!
जितना करीब था, उतना ही दूर मान लेना !!
ख़बर मिले ज़नाज़े की तों अफ़सोस न करना..
मेरे जाने पे उस कमी को ब-खूबी जान लेना !!
इस हालात में देख, ना रोना, ना नाम लेना !!
होंसला रख के मेरा जाते हुए सलाम लेना !!
ना हुई पूरी मोहब्बत की कहानी जब ज़िंदा थे..
इस अधूरी चाहत को बा-इज़्ज़त अंजाम देना !!
मेरी राख़ में बचा कुछ अपना सामान लेना !!
कुछ हसरतें कुछ उम्मीदें थोड़े अरमान लेना !!
अब लौट नहीं पाऊंगा, ये हक़ीक़त है मेरी..
गुज़ारिश है, यादों को मौत ज़रा आसान देना !!
गर याद करो तों मेरी कहीं बातों पे ध्यान देना !!
फिर, किस्मत के हवाले ज़िंदगी की कमान देना !!
कभी बोझ सा लगे मेरी निशानियों का, गुज़ारिश है..
तकिये तले इन्हें दफ़्न हों जाने को मसान देना !!-
ना जाने क्या क्या हम ने शौख पाले...
आदातों में हसरतें सारी बर्बाद कर ली...
वख़्त के तकाज़े में सब ख़पा दिया, फिर
कलम की चाह में ज़िंदगी आबाद कर ली...-
अब यादों की लहरों में उफ़ान नहीं आता !!
जुदाई का सैलाब लिए तूफ़ान नहीं आता !!
ग़म काँधों पे लिए फिर रहें है दर-ब-दर....
क्या, तेरे शहर में कहीं मसान नहीं आता ?-
जों अपना ही ना रहे वों राज़ कैसा !!
तन्हाई बयाँ कर दें वों अंदाज़ कैसा !!
कातिल बना एक दौर का मुरिद मेरा
वों कत्ल करने वाला नाराज़ कैसा !!— % &-
ज़ेहन से ज़ुबाँ तक नाम आके रह गया !!
उसका ग़म आँखों में आँसू बन रह गया !!
साँझ गुनेहगार थी वख़्त के साथ चली गई !!
दिन सज़ा-ए-मौत के जैसा ठहरा रह गया !!
नज़रों में था, इश्क बन वों निकला आगे !!
मैं, रास्ते के मोड़ के जैसा, राहों में रह गया !!
तमाशबीन जमाना किस्सा सुन आगे बढ़ा !!
और मैं इश्क के किरदार में डूबा रह गया !!
किए वादों के इरादे कभी कमज़ोर ना थे !!
कहानी का अंजाम कैसे अधूरा रह गया !!
इंतेज़ार के जनाज़े में आशिकों का हुजूम था !!
वों इंतेज़ार प्यार का इंतेज़ार बन रह गया !!-
गुज़रते दिन आज तक तलाश में तेरी...
नींद रात को अब भी प्यारी नहीं होती !!
ज़िंदगी के सब किस्से तेरे नाम कर दिए..
मगर प्यार की कहानी हमारी नहीं होती !!— % &-
आवाज़ आप की घड़कनों में गुंजती रहेगी !!
हर पीढ़ी आपको सुरों की सरसवती कहेगी !!
एक सदी हुई ख़त्म लता दीदी के जाने से...
आपके गानों की सुरमई गंगा हमेशा बहेगी !!— % &-