अमृता   (अमृताश्री योगमनोवैज्ञानि)
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Joined 19 March 2017


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6 JUN 2023 AT 17:05

तहरे भरोसे हम बानी ऐ बाबा,
डूबे चाहे पार लगे नाओ इ हमार...

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29 NOV 2021 AT 20:43

तेरी रज़ा मे मेरी रज़ा को मैने मिलाया है जबसे,

ऐ मालिक मुझे जीना, रास आया है तबसे।।

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11 SEP 2019 AT 13:40

अफ़सोस कर कल का बीते न रोने में मज़ा आता है,
क़तरा-क़तरा लम्हे खुशी के संजोने में मज़ा आता है...

ज़िंदगी लिखूँ, मोहब्बत लिखूँ या फ़ल्सफ़ा कोई,
दिल से निकले अहसासों को पिरोने में मज़ा आता है...

जो लिख दिया मेरी कहानी है, ऐसा नही ज़रूरी,
ख़यालातों को जज़्बातों से भिंगोने में मज़ा आता है...

नदी सी हूँ मैं और तुमको समुंदर है मान लिया,
तुम्हारी गहराई में खुद को डुबोने में मज़ा आता है...

देखा तुम्हे तो कोई मुझसा नज़र आने लगा मुझे,
"मेरे अहसासों" को अब तुम्हारा होने में मज़ा आता है...

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21 MAY 2018 AT 9:55

कृष्ण कृष्ण कृष्ण जपती रुकमणी थी,
लाज रक्खी थी कृष्ण ने उसके इश्क़ की...

हर किसी को कहाँ रास आती है ये मोहब्बत?
समझ नही सभी में यहाँ समर्पण रूपी प्रेम की...

सोचते हैं, तौलते हैं, परख़ते हैं दुनिया से फ़िर,
मन पर बाँध पट्टी बात करते हैं सब प्यार की...

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5 AUG 2017 AT 12:01

आपका हर आँसू अपनी आँखों में ले लूँगी,
अपनी हर एक हँसी आपके लबों पर बिख़ेर दूँगी,
बस इक बार जो मुझे अपना हमदर्द बना लो,
मर जाउँगी पर आपको ख़ोने नही दूँगी !!!

-Amrita

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20 NOV 2021 AT 7:02

ऐ चट्टान तेरा काम है रोकने का मुझको,
पर मै भी तो धारा हूँ, बह कर रहूँगी।

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9 AUG 2021 AT 16:54

चक्र क्या है?
यह ग्रंथियों एवं उपग्रंथीयों का एक समुच्चय है, तथा इन ग्रंथियों एवं उपग्रंथियों की अवस्थिति विभिन्न जानवरों में अलग-अलग होती है। मनुष्यों में चक्रों की स्थिति इड़ा, पिंगला एवं सुष्मना (मानसाध्यात्मिक प्रवाही मार्ग) के प्रतिच्छेदी बिन्दुओं (त्रिमिलन बिन्दुओं) पर है। मानव मन में बहुत से विचार लगातार प्रकट एवं विलुप्त होते रहते हैं। इन मानसिक घटनाओं के पीछे वृत्तियाँ ही मूल मे हैं जो प्रारंभिक रूप से मनुष्यों के जन्मजात संस्कारों (मानसिक प्रतिक्रियात्मक संवेगों) के साथ जुड़ी हुई है। वृत्तियाँ किसी के जन्मजात संस्कारों के अनुसार निर्मित हुई हैं। इन वृत्तियों की अभिव्यक्ति एवं नियंत्रण विभिन्न चक्रों के ऊपर निर्भर हैं।
योग-मनोविज्ञान
(श्री श्री आनंदमूर्ति)

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7 JUL 2021 AT 19:29

यदि आप देश, काल और पात्र के अनुसार मानवता को ध्यान मे रखते हुए अनिवार्य परिवर्तन (change) को स्वीकार नही करते हैं तो प्रकृति आपका भी डायनासोर से छिपकली वाला हाल कर ही देगी।

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26 JUN 2021 AT 9:41

This world is not for cowards, only brave can enjoy the world, if love for him is awakened then no reason for fear.

(Shrii Prabhát Ranjana Sarkár)

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20 JUN 2021 AT 11:25

धर्म (मनुष्य धर्म) से बङा न कोई साथी है
और अधर्म से बङा न कोई दुश्मन !!!

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