अमरजीत श्रीवास्तव   (हर्षित)
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हमें बच्चा समझता है हमारे गांव का पीपल,
इसे हम भी सदा से ही बड़ा हैं मानते आये।
Joined 29 September 2018


हमें बच्चा समझता है हमारे गांव का पीपल,
इसे हम भी सदा से ही बड़ा हैं मानते आये।
Joined 29 September 2018

हमें नशे की पड़े जरूरत, ऐ यार! ऐसा समय न आए।
फिर वो ही लड़की वही मोहब्बत ऐ यार! ऐसा समय न आए।
तुम्हारा कहना ही मान ये दिल फिर उस कली के ही नाम कर दें,
कि फिर से मिलकर हो फिर से रुखसत, ऐ यार ऐसा समय न आए।

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आंखों में कुछ आंसू लेकर, श्रद्धा के दो फूल चढ़ाने।
द्वार तुम्हारे हम आए हैं, तुम्हें हृदय की व्यथा सुनाने।

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Whatever the reason, Whatever the time, Whatever the situation, However the misery, Whenever I need, my coin stack will help me everytime.
Collect your coins in a box every evening and don't took them back. That will be extra money in your bad times.

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कुछ इस तरह घर कर गई,
"कोहबर की शर्त" मन में,
किरदार सारे मर चुके
और मैं अटका हुआ हूं।

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ब्याही गई, विधवा हुई
और गुञ्जा मर गई,
और चन्दन अब तलक
उस गुञ्जा पर मरता है।

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अभी रावण मरा है तो निशाचर आ रहे होंगे,
बकेंगे राम को गाली, फफक कर खूब रोयेंगे।

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सत्य, निष्ठा सहित भावना चाहिए।
भक्ति सान्निध्य दर्शन कृपा चाहिए।
राम दरबार में चाकरी कर सके,
भक्त को सुख भला और क्या चाहिए?

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एक दिन की है अवधि फिर सुखद परिणाम होंगे।
राममय होगी अवध फिर अवध में राम होंगे।
यह अवधि बीती कि मानों युग सरीखा एक दिन।
क्या कहें हम हाल अपना, हम जिए थे राम बिन?
प्राण बिन हो देह जैसे या नदी बिन नीर हो।
लड़ रहा कोई धनुर्धर और बिन तूणीर हो।

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थोड़ी मेरी, थोड़ी उसकी, ऐसी चीजें भाड़ में जाएं,
आधा खाकर भूखा रहने से तो भूखा मरना अच्छा है।

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खरी उतरेगी हर उम्मीद पर,
नयी पीढ़ी को अवसर दीजिए।

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