Amritanshu Amrit   (Amritanshuamrit)
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•Teenager × Student
Joined 11 September 2020


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21 FEB 2021 AT 21:10

कर गए बदनाम सब
केह के इश्क जहर
हम भी बिके बाजार में
तभी बने शायर



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21 FEB 2021 AT 20:45

कर्ज़ है कलम का चुकाना तो पढ़ेगा,
बाज़ार में तू आया बिकना तो पड़ेगा,
ख़ुदा है बनाया सर झुकाना तो पड़ेगा,
मशाल से मोहब्बत अब जलना तो पढ़ेगा।


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21 FEB 2021 AT 20:37

मोहब्बत हो गई है , उनसे बेहिसाब,
अब बीमार कहो , बेकार कहो , या फिर बर्बाद

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30 OCT 2020 AT 3:22

चाहते....

तेरी हाथों से लिखी एक किताब चाहिए,
तेरी बाहों से गुजरी एक रात चाहिए ,
बरसी जो तुझपे जो वो एक शाम,
सनम हमें भी वह बरसात चाहिए।

मेरे सारे सवालों के जवाब चाहिए,
तेरी आंखों में छुपे सारे राज चाहिए,
एक खुशबू से लिपटी है जिस्म मे तेरे,
उस खुशबू से भरी एक तालाब चाहिए।

इस सफर में तेरा साथ चाहिए,
तेरी हाथों की ठंडक में तेरा हाथ चाहिए,
छोड़ेंगे यह शहर एक वादे के साथ,
के अगले शहर में भी तुम जैसा कोई नजर आना चाहिए।

कुछ लम्हों को दोबारा जीने का इजाजत चाहिए,
थोड़ी देर को ही सही यह वक्त रुकना चाहिए,
जी भर के देख लेने दे सूरत को सनम,
इस चेहरे के बाद हमें सिर्फ रात चाहिए।

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16 SEP 2020 AT 13:28

In a raining full moon night,
Going deep in nightangle voice,
From a shrilling throat,
Under a mesmerizing autumn smile.

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16 SEP 2020 AT 13:13

Meri nazar gulabon se Jyada,
Kaaton Par Pari ,
Ab ismein Mera kya Kasoor,
Ke zindagi roshni se Jyada,
Andhere mein Kati.

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16 SEP 2020 AT 13:04

Subah si suhani Ho,
Shaam si mastaani Ho,
Bata bhi Do,
Kaun si shahar ki Rani Ho.
❤️🧡

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16 SEP 2020 AT 12:58

Sometime you don't write your story
It writes you
You don't choose it
Story choose you!

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12 SEP 2020 AT 14:20

सदियों से लड़ते आए हैं,
सदियों तक लड़ते जाएंगे,
मुश्किलों से कह दो मेहनत कर ले,
हम उसकी जीत छीनने आए हैं।

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12 SEP 2020 AT 13:54

जिस माटी में दफ़न कर जन्म लिया,
जिससे जिगर-ऐ-मोहब्बत का दावा करते हैं,
उसी माटी पर उसकी बेटी की इज्जत,
को दफ़न करने में ज़रा सी भी देर न करते हैैं।

कमी उसकी कपड़ों में बताते हैं,
उसकी सिसकियों को अपनी जीत मानते हैं,
उसकी प्रताड़ना में ये अपनी जश्न मनाते हैं,
जंजीरों में सिमटी अपनी ये सोच का विस्तार दिखाते हैं।

कलयुग के इस अमानवीय भूख में,
दानव से ये प्रकट होते हैं,
यह राम और अल्लाह से नहीं,
इंसानियत और मानवता के गठजोड़ से डरते हैं।

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