चाहत
हमने जिसको चाहा उसने चाहा किसी और को,
उसने जिसको चाहा उसने भी चाहा किसी और को....
इन चाहतों के बीच जिम्मेदारियों ने चाहा मुझे कुछ इस क़दर,
फ़िर मैने कभी ना चाहा किसी और को..!!-
तू और दे मैं हौसला-ए-हिमालय रखता हूँ..!!
कुछ काश अधूरे हैं जिनको पूरा कर जाना है,
हम दरिया हैं बहकर वापस किनारों पर ही आना है..!!-
बस ख़्वाबों में ही सही हम मीत तो है,
एकतरफा ही सही तुझसे प्रीत तो है...
यहाँ हर पल नचाती है जिंदगी अपने हिसाब से,
सच कहा जिंदगी एक संगीत ही तो है..!!-
मैं जब भी उसे भूलने की कोशिश में कामयाब होने लगता हूँ...
हर बार उसकी याद बेवज़ह ही दिला देता है,
कमबख़्त ये मौसम भी ना..........
पुराने ज़ख्मों को कुरेद हर बार नया बना देता है..!!-
●फ़लक तक मेरे साथ चलोगी क्या●
ग़र रख दूं मैं अपने हाथ तुम्हारे हाथ पर,
तो फ़लक तक मेरे साथ चलोगी क्या....
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हम फ़िर एक दफ़ा किसी मोड़ पर यूँ अचानक
मिल जाएं,
बस यही दुआ मांगा करते थे....
मग़र दुआ कुबूल हो भी तो कैसे,
ख़ुदा को तो मेरी दुआ से ज्यादा हमारी तफ़रीक़
रास आयी..!!-
क्यूँ बदल गए तुम
फ़लक तक साथ देने का वादा करके, क्यूँ मुकर गए तुम,
आख़िर क्यूँ बदल गए तुम....
मेरे क़रीब आकर मेरे दिल में समा गए थे ना तुम...
दर्द में भी मुस्कुराने का हुनर सीखा,
आख़िर क्यूँ बदल गए तुम....
कसमें खायी थी ना कि साँस थमने तक तुम सिर्फ़ मेरे हो...
तो फ़िर मुझसे क्यूँ बिछड़ गए तुम,
आख़िर क्यूँ बदल गए तुम....
सोचता रहा मैं रात भर करवटें बदलकर...
मुझे पुरी तरह बदलकर,
आख़िर क्यूँ बदल गए तुम....
सबसे वफ़ा निभाना तो अदा थी न तुम्हारी फ़िर हमसे बेवफाई क्यूँ कर गए तुम,
आख़िर क्यूँ बदल गए तुम....
उम्र भर मेरे साथ रहने के संजोए थे ना सपने तुमने...
फ़िर उन्हें क्यूँ तोड़ गए तुम,
आख़िर क्यूँ बदल गए तुम....
मुझे लगी हल्की सी खंरोच भी सहन नहीं होती थी न तुमसे...
फिर मुझे तड़पता क्यूँ छोड़ गए तुम,
आख़िर क्यूँ बदल गए तुम....
क्या ख़ता थी मेरी जो यूँ ख़फ़ा हो गए तुम....
मुझे अलविदा कह,
आख़िर क्यूँ बदल गए तुम....-
ये दुनियां है ज़नाब......
सबका होकर रहने के लिए,
यहाँ झूठ बड़े लिहाज़ से नज़ाकत के साथ और बड़ी तमीज़ से कहा जाता है,
और सच बोलने वाला अक़्सर तन्हा रह जाता है..!!-
जब हमारे वक़्त बदले और हालात बदले,
साथ में ही लोगों ने अपने जज़्बात भी बदले....
जिनपे हम आंख बंद कर के भरोसा करते थें ‛अमृतांश’,
कमबख़्त सब के सब गिरगिट निकले..!!-
आज मुद्दतों बाद फ़िर उनकी याद आयी है,
आँखों से गुज़ारिश है कि आसुओं से भिगाकर रातें तबाह न करें..!!-