राधा रानी
या
माँ मीरा-
सोचा तो था।
एक शहर होगा दूर कहीं
जहाँ संभावनाएं सफलता में बदलती होंगी
जटिल प्रशन है जो भविष्य के
उनके हल भी होंगे छिपे वहीं
नव अंकुरित पौधा आज का
कल देगा घनी छाँव वृक्ष बन
अपेक्षाएं उम्मीदे अपनो की
ना होंगी हताश निराश वहां
घर की दहलीज़ लंघते क्षण
उल्लास पूर्ण निबोध मन ने
ऐसा सोचा तो था।
झूठी विफल सरकारो से हारे विधार्थी ने
कुछ बर्ष पुर्व ऐसा सोचा तो था।
-
पूरे दिन तिनका तिनका जोड़ती हु खुद को
हर रात तेरे सपने फिर तोड़ जाते है मुझे-
लेकर आँखों में नमी शब्द में कड़वाहट
मुझसे हर रिश्ता तोड़ने आया था वो।
गली के उसी नुक्कड पर खड़ी हूँ मैं
जहाँ आखरी दफा छोड़ने आया था वो।
उसकी आँखें मेरी होकर बह रहा थी
शब्द स्वार्थी हो रहे थे उसकी तरह
हर पल सन्नाटा गहराया था दरमियान
मौन रहकर खुद से ही लड़ने आया था वो।
इश्क की बाजी दाव पर हम दोनों थे
ना हारना मंजूर था ना उसको हराना
महफिल से उठकर हम बचा लाऐ उन्हें
हार कर हमको जीतने आया था वो।-
नासूर बन चुके हैं हथेली के घाव समेटते समेटते।
कमबख़्त ये जज़्बात फिर बिखरे पड़े हैं फर्श पर।-
Jo kbhi puri trhra se humre nhi hote
Aksar wahi Saks Hume adhura kr jate h
Fir suru hoti h talash
khud ki
Kbhi na Ktm hone wali-
Chamkti gulabi frok wali gudiya...
Chota sa Basta lekr Pdhne jaegi...
Badi hokr tu bhi sb ko padhaegi...
Jhuti duniya m ikchao ki sachai...
Tuta Bhrm haqiqt se rubaru hui
samet liye khilone maa Ki awaz se
Surj chd gae Bitiya Kaam pr kb jaegi...-
अपनो से छीन कर,अमृत पिया ना गया हमसे।
सहते रहे हर जुल्म, जवाब दिया ना गया हमसे।
सिल लिए मन घाव, हृदय सिया ना गया हमसे।
जैसे जीना चहा था, वैसे जिया ना गया हमसे।-