ना तुझे पाने की जिद्द है ना खोने का कोई इरादा ये कौन सा एहसास है मुझमें जो न पूरा है ना आधा । ना तेरे होने से गम है ना दूर होने की कोई खुशी ये कैसी चाहत है मेरी जो ना पूरी है ना अधूरी।
कहते है जिंदगी रूकती नहीं किसी के बिना पर कुछ फरेब जिंदगी भर याद आते है यू तो गुजर ही जाता है वक्त पर कुछ शक्श हमारे टूटे हुए यकीन की वजह बन जाते है और जो कभी थे दिल के बेहद करीब इस दुनियां की भीड़ में वो फिर से अजनबी कहलाते है ।
तुम्हारी याद मेरे लिए कुछ इस तरह सावन में बरसात हो जिस तरह आसमान में बादल हो जिस तरह सागर को नदी की प्यास हो इस तरह और हजारों की भीड़ में भी बस तुझे नजर भर देखने की आस हो जिस तरह ।
ये मोहब्बते –ए– दस्तान कुछ यूं अधुरी रही जैसे धरती से आसमां की जन्मों जन्मों की दूरी रही जैसे सूरज से चन्दा की मुलाकात जो कभी न पूरी हुई और जैसे दिल में छुपाए हुए थी मैं हजारों जज़्बात हां माना चुप रहना ये मेरी मजबूरी भी रही क्योंकि कुछ अनकही कहानियां जो खत्म होना जरूरी भी लगी।
तेरे साथ बिताए हुए लम्हे कुछ ऐसे गुजर गए है जैसे हवा का झोका जो मुझे छू के निकल गया हो जैसे पानी की एक बूंद जो मेरे बदन से बह गईं हो जैसे मुठ्ठी भर रेत जो मेरे हाथो से फिसल गईं हो तेरे साथ बिताए हुए लम्हे कुछ ऐसे गुजर गए है
डायरी में मिली वो तस्वीर कुछ पुरानी सी थी थोड़ी धुँधली थी पर कुछ अनजानी सी थी । ये कह कर मैने बात टाल दिया लेकिन मेरे दिल के किसी कोने में वो अब भी पहचानी सी थी जैसे वो मेरे बीते वक्त की कोई कहानी थी। हां वो तस्वीर कुछ पुरानी सी थीं थोड़ी धुँधली थी पर पहचानी सी थी।
उसके इन्तजार की उम्र तो पूरी हुई फिर भी उसकी दिल –ए–दास्तान यूं अधूरी रही की वो सामने तो था पर किसी और के हाथों में था अब उसका हाथ और नहीं बता पाई वो अपने दिल के जस्बात उन दो लोगों के बीच एक और जन्म की दूरी हुई बस इस तरह एक और मोहब्बत की दास्तान अधूरी रही।