तुम्हारे दीवानों की भीड़ का हिस्सा हो जाए! तुम्हे कतरा भर याद रहें वो किस्सा हो जाएं!! टूट कर भी तेरी ही सूरत की नुमाइश करे, काश की कम से कम वो शीशा हो जाएं!!
उसकी तलब जो आज भी शुमार है मुझमें! मेरे ज़हन का उस से कोई तो वास्ता होगा?? मैने गलती से उसका नक्शा खो दिया है मगर, उस तलक पहुंचने का कोई तो रास्ता होगा?