Amrit Raj  
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Cadet at marine engineering and research institute
Joined 17 March 2018


Cadet at marine engineering and research institute
Joined 17 March 2018
30 JUN 2021 AT 11:47

चाहता तो बच सकता था

मगर कैसे बच सकता था

जो बचेगा

कैसे रचेगा

पहले मैं झुलसा

फिर धधका

चिटखने लगा

कराह सकता था

मगर कैसे कराह सकता था

जो कराहेगा

कैसे निबाहेगा

न यह शहादत थी

न यह उत्सर्ग था

न यह आत्मपीड़न था

न यह सज़ा थी

तब

क्या था यह

किसी के मत्थे मढ़ सकता था

मगर कैसे मढ़ सकता था

जो मढ़ेगा कैसे गढ़ेगा।
श्रीकांत वर्मा

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29 MAR 2021 AT 11:43

हरा ,लाल ,गुलाबी या पीला
इंद्रधनुषी या आसमान सा नीला,
रंगों के इस महाकुंभ में
तुम कौन सा रंग लगाओगे....?

रहते- रहते संग तुम्हारे,
देखें हैं हमने कई रंग तुम्हारे
उन रंगों से बाहर आकर
क्या तुम रंग नई लगाओगे....?

कल तक धूलों से थी विसरित हवाएं,
गुलालों ने बदल दी है उनकी फिजाएं
क्या तुम भी मेरे इन सादे कुर्तो पर
रंगों की बौछार से रंगीन इसे बनाओगे....?

अमृत .....





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3 FEB 2021 AT 1:48

"कांटों से जिसका चोली-दामन का साथ है,
उनके राहों में इन क्रूर शूलों की क्या विसात है?
समादृत है वो चादर जिसने झेली पूस की रात है...."

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22 DEC 2020 AT 12:27

ये वक्त है आगे बढ़ने की...

उड़ती जा तू नभ में, नभ को नया आयाम दे,
आशाओं पर पड़ी धुंध में जग को नई शाम दे,
जज्बा है - जुनून है, जिद है तुममे जीत की
माहौल-ए-नफ़रत में उम्मीद हो तुम प्रीत की ;

इन दीवारों और अड़चनों की क्या ही विसात है?
मेहनत करो ये भूलकर कि दिन है या रात है,
ये रास्ते जो आज बयां कर रही कहानी संघर्ष की,
कल बनेगी गवाह वो सफलता के आपार हर्ष की ;

छोटे - छोटे कदमों से मंजिल ऊँची चढ़नी है,
हौंसलों के दंभ पर आत्मविश्वास खुद में भरनी है,
हाँ , लोग कुछ हँसेंगे आदत है उन्हें हँसने की
नजरअंदाज कर उसे ये वक्त है आगे बढ़ने की...

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20 NOV 2020 AT 20:17

गानों में मार्मिकता की असीम गहराई ,
पकवानों की खुशबू से गूंजती शहनाई
सूर्यास्त अर्घ्य की गंगाजल में परछाई,
सूर्योदय के दीदार में सबने है आँखें बिछाई,
ये अनूठा परम्परा जो सदियों से है चली आई,
आपकी झोली खुशियों से भर दे छठी माई....

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14 NOV 2020 AT 0:43

दिवाली की अनन्त शुभकामनाएं....


"यूँ ही जिज्ञासा की लौ कभी बुझने न दें,
सीखने की भूख कभी मिटने न दें,
प्रज्ज्वलित रहे सदा ये ज्ञान का दीपक
आँधियों की साजिश को सफल होने न दें"....

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14 SEP 2020 AT 8:37

हिंदी भाषा और भारत

देवनागरी लिपि की सन्तान,
वैदिक सभ्यता की पहचान,
संस्कृत है जिसका प्रमाण,
देशवासियों से है आह्वान,
करें दिल से उनका सम्मान,
बन भारत -माता के मस्तक की बिंदी,
विश्व के मानस पटल पर लहराए हिंदी।

अंग्रजों से आजादी में भारत की आवाज बनी,
काँटों से बोझिल हुआ देश तब फूलों का साज💐 बनी,
विश्व की विकास यात्रा में माँ भारती की अल्फ़ाज बनी,
अनगिनत भाषाओं को देकर पनाह विशाल ह्रदय सम्राट बनी,
आज विश्व में हिंदी के प्रति बढ़ने लगा लगाव है,
एक मात्र भाषा है जिसमे सर्वधर्म समभाव है।

त्याग , समर्पण के बाबजूद अपने ही देश में हिंदी को मिला वो सम्मान नहीं,
इतना बड़ा राष्ट्र होकर राष्ट्र-भाषा को तरसे क्या ये अपमान नहीं?
छोटा से छोटा देश अपनी भाषा पर इतराता है,
पर इस देश की संसद को हिंदी क्यों चुभ जाता है?
इतने बड़े संविधान में राष्ट्रभाषा का कहीं उल्लेख नहीं,
क्यों न आहत होगी हिंदी जब अपने ही देश में देख-रेख नहीं।

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14 SEP 2020 AT 8:13

शुभ हिंदी दिवस..

देवनागरी लिपि की सन्तान,
वैदिक सभ्यता की पहचान,
संस्कृत है जिसका प्रमाण,
देशवासियों से है आह्वान,
करें दिल से उनका सम्मान,
बन भारत -माता के मस्तक की बिंदी,
विश्व के मानस पटल पर लहराए हिंदी।

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6 SEP 2020 AT 0:50

प्यार की प्यारी सी प्रतिमा,
करुणा की अदृश्य सीमा,
समेटे हुए अपने दिल के अंदर,
भावनाओं का अथाह समंदर,
इतनी शक्ति कहाँ से लाती हैं वो,
नित्य सवेरे नई मुस्कान
अपने चेहरे पर कैसे सजातीं हैं वो।

अपमान को ललकारती,
झूठ को धिक्कारती,
आत्मविश्वास को सँवारती,
संघर्ष की अदम्य मूर्ति,
खुद से कभी न हारती,
फ़िर उनकी किस्मत क्यों शरारती?

ऐ जिंदगी, ले तू आज इम्तहान,
कर ले जारी तू अपनी फ़रमान,
मत भूल तू मैं भी एक नारी हूँ,
छोड़ जा तू खुद में मैं सारी हूँ,
खुशियों की तलब मुझे क्या सताएगी?
होगा जब सामना वो आँख भी मिला न पाएगी।

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5 SEP 2020 AT 1:20

Teachers of our life

1.Parents
2.Teachers
3.Time
4.Books
5.Friends

Happy teachers day to All

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