920
दूरी बना ली हमने अपने हिसाब से
भस्म न हो जायें कहीं तेरे शबाब से
तपस तेरे बदन की आग उगलती है
मैं तो डर ही गया हूँ तेरे आफताब से-
919
बड़े-बड़े महलों में अहंकार पनपता है,
झूठी शान में हर पल वह दमकता है।
रौंद देता है जो भी उसकी राह में आए,
बस इसी अंदाज़ में वो आगे बढ़ता है।-
918
भूलना भी चाहो तो याद आ ही जाती है
भँवरा बन आसपास मंडरा ही जाती है
लाख छुपाओ यौवन छुपता भी नहीं है
नींद उड़ाकर आख़िर तड़पा ही जाती है-
917
मिल-जुल कर बाँट लेंगे जब दर्द के निवाले,
नहीं निकला करेंगे तब किसी के भी दीवाले।
तब हर घर में सिर्फ़ ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ होंगी,
तब नहीं मिला करेंगे किसी भी घर पर ताले।-
916
लंबी उम्र का आशीर्वाद तुम क्यों देते हो
तुम्हें भी पता है कि बुढ़ापा कैसा होता है
इतना कुछ सिखाया है तुमको जिंदगी ने
कौन सा ऐसा दर्द है जो कि नहीं होता है-
915
हर कोई गलीचे पर ही पांव रखना चाहता है
पर डरता भी है कि नीचे कहीं काटें ही न हों
जो हिम्मत करता है वही तो ताज पहनता है
कुछ लोग डरते हैं कि ये केवल बातें ही न हों-
914
जब न गिले, न शिकवे, न कोई अंजाम होंगे,
तब मोहब्बत होगी, और चर्चे सरेआम होंगे।
क्या हुआ, कब हुआ-कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा,
वक़्त के पाबंद होंगे, रिश्ते भी सरंजाम होंगे।-
913
शिकायतों के पुल पर जब चढ़ जाते हो,
न जाने तुम ख़ुद को कितना सताते हो।
वहाँ कोई भी नहीं होता सिवाय तुम्हारे,
यह भी सोचो फिर कितना पछताते हो।-
912
जूता बराबर हो जाए तो बाप को संभलना चाहिए,
बेटा बोलने लग पड़े तो बाप को समझना चाहिए,
कि तुम्हारा बेटा भी अब बड़ा जिम्मेदार हो गया है,
उसको भी ख़ुद साथ लेकर थोड़ा टहलना चाहिए।-
911
ख़ुद के लिए ज़रूरी है कि प्यार चाहिए,
रिश्ते के लिए छोटा सा संसार चाहिए।
जिसमें लड़ना है तो खुद से ही लड़ लो,
बाकी लोगों को तो सिर्फ प्यार चाहिए।
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