मंजिले मुझे छोड़ गई, रास्तों ने अपना लिया हैं,
आगे क्या होगा उसकी चिंता नहीं, मुझे श्रीराम
ने संभाल लिया है।।-
अरे हम बिना मतलब की बात ही करते है,
दोस्त,
मतलब की बात कर दी,तो फिर
बात की मतलब ही क्या रह जायेगी!!
: अमृत मिश्रा-
सभी भाषाओं का अपना
कुछ न कुछ सार हैं,
पर हमको तो सिर्फ़
अपनी हिंदी से ही प्यार हैं!
:– अमृत मिश्रा
-
ये जो चले हो बड़ा बनने
किसी को गिरा कर,
गिर जाओगे खुद बेवकूफ
सब की नजरों में आ कर।।
: अमृत मिश्रा-
अब फ़र्क नहीं पड़ता...
अब कुछ हो भी जाए तो
सब कुछ खो भी जाए तो
फ़र्क नहीं पड़ता हैं।।
एक वक्त था जब,
हर एक बातों से फर्क पड़ता था
अब तो कोई मर भी जाए तो
फ़र्क नहीं पड़ता हैं।।
: अमृत मिश्रा
-
बस ज़रा सा गिरा हु
उठ जाऊंगा,
अभी मारा नहीं जो
रुक जाऊंगा।।
:- अमृत मिश्रा-
रोना लिखा गया है, रोते है
पर जिम्मेदारी तो जिम्मेदारी है
और
दुश्मनी के लाखों दर्जे है
आखरी दर्जा रिश्तेदारी है।।
: अमृत मिश्रा-