Amresh Kumar   (अमरेश आर्यन)
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Joined 17 June 2018


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12 FEB AT 12:22

क्या तुम मेरी कविता की नायिका बनोगी

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24 MAR 2023 AT 9:11

पत्र प्रेम का लिखना तुमको जब मैंने स्वीकार किया

लिखा प्रेम ऊपर मैंने नीचे तेरा नाम लिखा
बीच में लिखा निपट मौन को मैंने

शब्द निखट्टे क्या लिखता मैं
मैंने सम्प्रेषित भाव किया
न खोजना शब्द पत्र में तुम भी मेरे भाव को पढ़ना
प्रतिउत्तर में लौटा देना कोरा कागज़ तुम भी मुझको
पर जब देना तुम पत्र हाथ में
झुका नेत्र तुम बस हँस देना
हर भाव शब्द तब बन जायेगा
होजायेगा प्रेम प्रदर्शित
बिना लिखे शब्द एक भी
पत्र प्रेम का लिख जायेगा....

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23 AUG 2022 AT 11:43

तुम्हारी ये दवाएं मेरे किसी काम की नहीं,
दुआ करो कि वो आये मुझे कविता सुनाये।

ये ब्लड रिपोर्ट, ये एक्स रे, ये एम आर आई,
खाक पता लगा पायेंगे मेरे मर्ज़ की,
मेरा मर्ज़, मेरा इलाज़ तो बस एक ही है,
उससे बोलो कि वो आये मुझे कविता सुनाये।

ये एम्बुलेंस का साइरन ये स्ट्रेचर के पहिये,
नहीं पहुँचा सकते मुझे मेरी मंज़िल तक,
ख़ुद उठकर बिस्तर से चला आऊंगा मैं तुम तक,
बस उससे कह दो कि वो आये मुझे कविता सुनाये।

ये वेंटिलेटर की तार ये ऑक्सिजन की पाइप,
नहीं लौटा सकती मेरे दिल की धड़कने,
मेरी साँसों में लौट आयेगी रवानी फिर से,
बस वो लौट आये और मुझे कविता सुनाये।

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13 AUG 2022 AT 22:59

हाँ मैं अपनी बेटी के साथ बैठकर घंटों कार्टून देखता हूँ, अगर वो कार्टून देखते देखते सो भी जाए तो भी मैं बहुत देर तक चैनल नहीं बदलता....

हाँ मैं अपनी माँ के साथ बैठकर सास बहू वाले सीरियल देखता हूँ और जब उन सीरियल्स में ब्रेक आता है तभी क्रिकेट मैच का स्कोर देखता हूँ और ब्रेक खत्म होने से पहले वापस सास बहू का सीरियल लगा देता हूँ....

हाँ मैं अपनी वाइफ के बिना कहे ही मटर छील देता हूँ, सब्जी काट देता हूँ, पानी की बोतल भर कर फ्रिज़ में रख देता हूँ, बिस्तर खुद सही कर देता हूँ और उसकी साड़ी तहा कर रख देता हूँ....

हाँ मैं उनसे रोज-रोज तो यह कह नहीं पाता कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ....
बस जो कर सकता हूँ वह कर देता हूँ....

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16 JUN 2022 AT 17:16

दिल के दरीचे से झाँकती है कभी कभी,
वो मोहब्बत जो अब दर्द बन चुकी है...

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10 JUN 2022 AT 20:14

वो मुकम्मल मेरा हो नहीं पाया.......,
वो मुकम्मल बिछड़ा भी नहीं मुझसे।

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2 JUN 2022 AT 20:10

इश्क़ तो पहली बार ही करते हैं हम लोग,
दूसरी बार तो समझौता करते हैं हम लोग।

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29 MAY 2022 AT 21:40

जी चाहता है लगकर गले तुम से,
तुम्हारी ही शिकायत करें तुम से।

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27 MAY 2022 AT 10:38

तेरे ज़हन से होकर गुज़रूं तो मुस्कुरा देना,
तेरी याद में भटका मासूम सा ख़्याल हूँ मैं।

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26 MAY 2022 AT 19:54

ग़ौर से सुनो सुनाई देगी ख़ामोशी मेरी,
तड़पते इश्क़ की गूंज है ख़ामोशी मेरी।

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