Amrendra Vashistha   (Amरेन्द्र)
29 Followers · 4 Following

read more
Joined 17 May 2020


read more
Joined 17 May 2020
23 JUL AT 0:18

-: एक शराबी की नज़र से :-

ना रही होगी कोई और हसरत बाकी,
जब पिए होंगे 2 घूंट शराब के...
जिंदगी के ने दिए होंगे जो घाव शायद..
उस पर मरहम का काम किए होंगे शायद.....

बीता होगा बहुत कुछ उस पर,
जो ना कह सका होगा वो किसी से।
पी कर कुछ प्याले, कुछ पल के लिए सोच होगा भुलाने को ग़म,
पर जब मिला होगा नशे में अकेले ख़ुद से,
घाव फिर से हुए होंगे हरे सारे।
एक शाम और गुजरी होगी यूं ही...
जब रात की पी हुई शराब सुबह उतरी होगी।
मिली ना होंगी खुद से ही नज़रे,
पर जमाने को दिखाने के लिए..

---:*****************:---

बाकी आगे फिर कभी....

-


3 JUL AT 0:21

अपने और सपने!



कुछ सपनों को पूरा करने के लिए अपनों को छोड़ना पड़ता है।
और
अपनो की खातिर सपनो को छोड़ना पड़ता है।

वो सपने ही क्या , जो अपनो के साथ पूरे ना हों......
और वो अपने ही क्या जो सपनो को सच ना होने दें......

-


25 APR AT 23:38

बहुत थकान सी होने लगी है अब,
कितने और कदम चलने होगें ए- ग़ालिब...

कुछ पल का सुकून लिख दे मेरी तक़दीर में भी..
तेरा बंदा थक चुका है,
इस तरह से भागते हुए।

-


17 APR AT 22:00

बंद मुट्ठी से पानी की बूंद सी फिसल रही है, जिंदगी!
वो पानी की बूंदे नहीं,
जिंदगी भर गुमान रहता है कि.....
सब तो हमारी मुट्ठी में ही है.!
पर अंत में खुले हाथ के सिवा कुछ भी नहीं।

-


18 MAR AT 0:19

जीवन की एक लम्बी यात्रा तो
अकेले ही गुजर चुकी है.,

बाकी जो यात्रा बाकी है...
उसमें अगर हो साथ उनका,
तो जीवन धन्य हो जाता।।




पता है मज़ा मंजिल में नहीं यात्रा में है,
तभी तो साथ उनका जरूरी है यात्रा को यादगार बनाने के लिए।

-


16 MAR AT 0:19

बीते कई दिन...
उन से मुलाकात की आस आज भी है,
हुई ये बात आज भी है।

-


10 NOV 2024 AT 21:54

टूटा आज मेरा एक भ्रम फिर से.....

जिसके इंतजार में था अबतक अकेला मैं!

वो तो कलयुग के पांचाली बने बैठे है!!

-


9 NOV 2024 AT 21:02

ख़्वाब और जिन्दगी में बस फर्क इतना सा...,
जो भी सोचोगे तुम हकीकत में उसका होना मुश्किल सा।

-


8 NOV 2024 AT 22:33

कुछ हशरतों को अधूरा रहना जरूरी होता है..
क्योंकि अगर वो मिल गया आसानी से तो उसको पाने का मज़ा अधूरा होता है।

-


7 NOV 2024 AT 20:07

ये खुशनुमा हल्की सी नवम्बर की ठंड,
सूरज की तपन को भी कम कर देती है।

-


Fetching Amrendra Vashistha Quotes