बहुत थकान सी होने लगी है अब,
कितने और कदम चलने होगें ए- ग़ालिब...
कुछ पल का सुकून लिख दे मेरी तक़दीर में भी..
तेरा बंदा थक चुका है,
इस तरह से भागते हुए।
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बस मन मे जो शब्द आ जाते है उन्हें लिख देता हूं।
अगर कोई गलत... read more
बंद मुट्ठी से पानी की बूंद सी फिसल रही है, जिंदगी!
वो पानी की बूंदे नहीं,
जिंदगी भर गुमान रहता है कि.....
सब तो हमारी मुट्ठी में ही है.!
पर अंत में खुले हाथ के सिवा कुछ भी नहीं।-
जीवन की एक लम्बी यात्रा तो
अकेले ही गुजर चुकी है.,
बाकी जो यात्रा बाकी है...
उसमें अगर हो साथ उनका,
तो जीवन धन्य हो जाता।।
पता है मज़ा मंजिल में नहीं यात्रा में है,
तभी तो साथ उनका जरूरी है यात्रा को यादगार बनाने के लिए।
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बीते कई दिन...
उन से मुलाकात की आस आज भी है,
हुई ये बात आज भी है।
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टूटा आज मेरा एक भ्रम फिर से.....
जिसके इंतजार में था अबतक अकेला मैं!
वो तो कलयुग के पांचाली बने बैठे है!!
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ख़्वाब और जिन्दगी में बस फर्क इतना सा...,
जो भी सोचोगे तुम हकीकत में उसका होना मुश्किल सा।-
कुछ हशरतों को अधूरा रहना जरूरी होता है..
क्योंकि अगर वो मिल गया आसानी से तो उसको पाने का मज़ा अधूरा होता है।-
ये खुशनुमा हल्की सी नवम्बर की ठंड,
सूरज की तपन को भी कम कर देती है।-
क्या लिखूं
इस देश के स्वतंत्रता के 78 वर्ष पूर्ण हो गए पर..
आजादी तो बस अंग्रेजो से मिली।
ना की...
21 वीं सदी के 24 वर्ष पुर्ण होने में बस 4 महीने ही तो बचे पर,
हवस के पुजारियों ने नव - जन्मित से लेकर बूढ़ी महिलाओं तक अपना शिकार बना डाला।
ये सब बस छोटी मानसिकता का असर है,, बस कुछ मिनटों के सुख वह भी जो मल मूत्र के मार्ग से मिला हो..
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जिन्दगी दिखा नए रास्ते,
पुराने तो अब सब जाने पहचाने हैं।
रास्ते नए होंगे मंजिले नई होंगी अजनबी सी है ये डगर होंगी तो कुछ नए मुसाफिर मिलेंगे!
पुराने मुसाफिरों से तो अब....
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