amreliya anand   (આનંદ)
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Joined 28 August 2019


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18 DEC 2024 AT 12:37

मे कृष्ण आधा तु अनुराधा है।
प्रेम तुमसे हमे थोड़ा ज्यादा है।

प्रेम की परिभाषा पता नहीं हमको।
साथ रहे ना भले हम पर नाम रहेगा ये वादा है।

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23 DEC 2022 AT 9:10

क्षितीज पर हुई खुबसूरत श्याम हो तुम।
सर्दियों में मीला अग्नि शा आराम हो तुम।

खुले आसमान की उड़ान भरने वाला।
वो परींदा बे - लगाम हो तुम।

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23 NOV 2022 AT 12:43

धूप निकलती है तुम्हें सवार ने को।
तुम्हारी खुबसूरती निखार ने को।

शाम ढलते आ जाते हे सितारे।
तुम्हे बे सबरी से निहार ने को।

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13 NOV 2022 AT 19:58

तमासा ऐ जिंदगी पता नही कटी कितनी।
खर्च की नही और सोचते हो बची कितनी।

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9 NOV 2022 AT 16:10

કાઢી ડોક્યુ ખુદને ખોળીયે ફાળ પડી.
હતી અવેજી હૃદયની, શું કોઈ ધાડ પડી.?

કંઈ ચોરાયું ને ખબર ના પડી અમને.
જેમ ગયો કોઇક કમોસમી વરસાદ પડી.

ચોરાયું કે પછી, ખબર વીના દઈ બેઠા કોઈને?
બફાટ ના કરો નામ લઈને કોઈનાં, હાં વળી.

હતાસ, નીરાશ થઈ બેઠો છું પીઠા ના ખુણીયે.
મળ્યું હોય કોઈ ને તો પુંછું છું કરગરી.

ઉઠાવ્યો જામ પીઠે થીં આજ દુઃખ માં.
ભુલાયુ બધું પડતાં જામ જઠરાગની માં ભળી.


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8 NOV 2022 AT 9:30

ये सुरज जब ढलता है।
गिरते पड़ते संभलता है।

दुजे दिन ना जाने क्यूं ?
उगने को ये मचलता है।

सर्दियों में जल्दी डूबता।
गर्मियो में हमको खलता है।

बरसात के मोसम में ना जाने।
बादलों के पीछे दुबकता है।

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31 OCT 2022 AT 13:22

ज़ुल्म उठाते है मजलुमो पे बे तहासा हरदीन।
भला सेतानो के लिऐ ये बेदर्दी क्या है।

सड़क पे पड़ी लाश से किसीको मतलब नहीं।
और तस्वीरों से इनको इतनी हमदर्दी क्या है।

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28 OCT 2022 AT 3:17

सड़क पे पड़ी लाश का किसीको खयाल नहीं यहां ।
और तस्वीरों से इनको इतनी हमदर्दी क्या है।

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26 OCT 2022 AT 1:11

गऐ दिल तोडके अश्क का कतरा नही बहा आंखो से।
फिर जमाने के जख्म से निकला कल्ब का कतरा क्या है।

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22 OCT 2022 AT 10:47

समझना हे तुमको हमें, समजाओगी क्या।
क़िस्से तुम्हारी यांदो के सुनाओगी क्या।

और वक्त बे वक्त परेंसा नही करेंगे तुमको।
वक्त हमको भी थोड़ा दे पाओगी क्या।

पढ़ लेती हो चहेरे आंखे देखकर सुना है हमने।
नजरे मुझसे मिलाकर मेरे जस्बात समजपाओगी क्या।

बेबाक हो नहीं घबराती किसीसे सच हे क्या।
हमे भी ये बेबाकी सिखाओगी क्या।

बन जाती हो चहीती सबकी जन्हा जाति हो।
जिंदगी भर हमारी चहीती बन पाओगी क्या।

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