हमसे भुलाया ही नहीं जाता एक मुखलिस का प्यार; लोग जिगर वाले हैं जो रोज नया महबूब बना लेते हैं!
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किसी और के टूटने से डरते है ..
कोई बैठा हो उस महफिल में मरिज ए इश्क त... read more
मुख़्तसर सा गुरूर भी ज़रूरी है, जीने के लिए;
ज्यादा झुक के मिलो तो दुनिया, पीठ को पायदान बना लेती है!-
तेरी वफा कि खातिर जलील किया तेरे शहरवालोने
अगर तेरी फिकर ना होती तो सारा शहर जरा दिया होता...-
आजकाल...
आजकाल मैतर पण जळू लागली ,
गरजला पण दूर पळू लागली
एकमेकाच्या मिंध्यात राहू लागली
स्वार्थासाठी नाती गिळू लागली
नसते मनामंधी तिरस्काराची भावना पण ,
तरी स्टेटस हाईड करू लागली ...
बालपणीसारखी ओढ कमी होऊ लागली
तुझमाझं करत विश्वासात ठिणग्या पाडू लागली
व्हि. शांताराम
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के मुर्शद ..
चाहा नही किसिको उसे चाहने के बाद ...
के मुर्शद ..
हमें अपनी निगाहो का मयार याद है ...-
शिकायत करे भी तो किस्से करे ,
अब सुननेवाले नही रहे ...
घाँव दिखाये भी तो किसको ,
अब मरह़म लगानेवाले नही रहे ...
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बेवफा तो बेवफा होती है ,
उसकी तो फितरत ही देना दगा होती है ,
मन भर जायेगा जब उनका उनसे भी ,
तो गायब हो जायेगी जैसे हवा होती है ...-
उसने यार बदल दिया ,
मैने शहर बदल दिया ...
ज्यादा फर्क कहा रहा हमारी मोहब्बत में ,
उसने मुस्कुराकें छोड़ दिया
मैने रो के उसे छोड़ दिया ...-
शहर के शहर बंद है ,
हर गली में नाकाबंदी है ।
तुम पता नही किन रास्तों से ,
चले आते हो खयालों में ।।-
आंखो से अश्क ऐसे ढलके ,
जैसे जिने से कोई उतरे हारके हारके ,
अरे .. मेरी बेकरारी मुझे क्या पूछते हो
पूछो उन बिस्तरों कि चादरों से
रात भर जागा हूँ करवट बदल बदलके ....-