Amol R Jadhav   (Amol R J)
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Joined 24 July 2017


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15 OCT 2021 AT 18:27

हमसे भुलाया ही नहीं जाता एक मुखलिस का प्यार; लोग जिगर वाले हैं जो रोज नया महबूब बना लेते हैं!

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6 SEP 2021 AT 22:09

मुख़्तसर सा गुरूर भी ज़रूरी है, जीने के लिए;
ज्यादा झुक के मिलो तो दुनिया, पीठ को पायदान बना लेती है!

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28 OCT 2021 AT 22:10

तेरी वफा कि खातिर जलील किया तेरे शहरवालोने
अगर तेरी फिकर ना होती तो सारा शहर जरा दिया होता...

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2 MAY 2021 AT 12:10

आजकाल...

आजकाल मैतर पण जळू लागली ,
गरजला पण दूर पळू लागली
एकमेकाच्या मिंध्यात राहू लागली
स्वार्थासाठी नाती गिळू लागली
नसते मनामंधी तिरस्काराची भावना पण ,
तरी स्टेटस हाईड करू लागली ...
बालपणीसारखी ओढ कमी होऊ लागली
तुझमाझं करत विश्वासात ठिणग्या पाडू लागली

व्हि. शांताराम




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17 JUL 2020 AT 7:01

के मुर्शद ..
चाहा नही किसिको उसे चाहने के बाद ...
के मुर्शद ..
हमें अपनी निगाहो का मयार याद है ...

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4 MAY 2020 AT 0:10

शिकायत करे भी तो किस्से करे ,
अब सुननेवाले नही रहे ...
घाँव दिखाये भी तो किसको ,
अब मरह़म लगानेवाले नही रहे ...

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18 APR 2020 AT 9:24

बेवफा तो बेवफा होती है ,
उसकी तो फितरत ही देना दगा होती है ,
मन भर जायेगा जब उनका उनसे भी ,
तो गायब हो जायेगी जैसे हवा होती है ...

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7 APR 2020 AT 20:20

उसने यार बदल दिया ,
मैने शहर बदल दिया ...
ज्यादा फर्क कहा रहा हमारी मोहब्बत में ,
उसने मुस्कुराकें छोड़ दिया
मैने रो के उसे छोड़ दिया ...

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30 MAR 2020 AT 7:48

शहर के शहर बंद है ,
हर गली में नाकाबंदी है ।
तुम पता नही किन रास्तों से ,
चले आते हो खयालों में ।।

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21 MAR 2020 AT 17:22

आंखो से अश्क ऐसे ढलके ,
जैसे जिने से कोई उतरे हारके हारके ,
अरे .. मेरी बेकरारी मुझे क्या पूछते हो
पूछो उन बिस्तरों कि चादरों से
रात भर जागा हूँ करवट बदल बदलके ....

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