Amol Dudwadkar   (Amol D.(अ. दू))
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Joined 21 April 2018


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7 JUN AT 1:13

पाऊस असो कि माणूस
सुरुवातीलाच छान वाटतात
कारण काही काळा नंतर
दोघेही दुखावतात..

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15 MAR AT 2:51

मुस्कुराते बोहौत हो तूम
कभी खूश भी रहा करो..

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15 MAR AT 2:33

मुस्कुराते बोहौत हो तूम
कभी खूश भी रहा करो..

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6 APR 2023 AT 11:45

उनके ओठों पर गौर फरमाते गए
मन की बात जानने हम उनके ओठोंपर गौर फरमाते गए
पर उनके आँखोसे निकलते आँसू सब कूछ बयाँ कर गए..

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14 OCT 2022 AT 20:38

रिमझिम रिमझिम बरस्त्या सरित
बऱ्याच दिवसांनी काही तरी लिहावसं वाटतंय
कोरड्या झालेल्या तिच्या आठवणीत
आज पुन्हा एकदा भिजावसं वाटतंय

धावपळीच्या अश्या ह्या व्यस्थ आयुष्यात
आज निवांत असं बसावसं वाटतंय
रोज भेटू भेटू म्हणून कधी भेटलीच नाही
म्हणून आज पुन्हा एकदा तिच्यावर रुसावसं वाटतंय

इतर कोणाच्या ही विश्वात आपलं अस्तित्वच नसून
आज तिच्या सोबत नुस्त असावसं वाटतंय
खूप झाला आता शब्दांचा खेळ
आज तिच्या ओठांना माझ्या ओठांवर अलगद अनुभवावसं वाटतंय

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23 JUL 2022 AT 19:55

झूकी झूकी सी नझर तेरी
उनमे खुदकी छवी पाह नेकि चाह मेरी

गोरा गोरा मुखडा
मानो धरती पर आस्मान से गिरा हुआ चाँन्द का तुकडा

पानिदार से दो नयन
जिन्मे गू़ंज रही है सप्नो की गू़ंजन

जैसे गहरे राझो से भरा समन्दर
उलझ रहा सा अंदर ही अंदर

किसी से आसानि से सुलझ ना सके जैसे पहेली
ऐसी ये हमारी Priya सहेली



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13 FEB 2022 AT 23:09

कंँचो जैसी दो
बडी बडी आँखे
रेशमसे काले बाल
हलकेसे गुलाबी ओठ
हिलकोरे से भरे गोरे गाल
नाक पे एक छोटासा तील
मानो चाँद पर लगा हुआ छोटासा दाग
गोलसा गोरा गोरा मुखडा
जैसे धरती पर गिरा हुआ चांँद का तुकडा
नाम है उस्का स्नेहा
हमारे हर बुरे वक्त में
उनसे एक ही बात सूनना चाहते हैं की,
"सुनो,मैं हूंँ ना..."
— % &

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13 FEB 2022 AT 20:07

औरतों से कूछ ज्यादा रेहैमियत से पेशाओ
फिर भी कूछ डरसा लगता हैं
दो लफ्झ अच्छे भी कैहे दो,
तो सोचती है की आझमा रहा हैं
— % &

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14 SEP 2020 AT 17:11

.....

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23 SEP 2021 AT 15:32

there are few unexpressed feelings
which we can just feel,
Sometimes the whole story..

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