जैसे ख्वाब का साथ होना
तुम्हारा पास होना
जैसे जुल्फों का जाल होना
तुम्हारा पास होना
जैसे दूर जाने का पैगाम होना
तुम्हारा पास होना
जैसे यादों का साथ होना
तुम्हारा पास होना
जैसे मेरा बचपन साथ होना
तुम्हारा पास होना
जैसे सुकून का साथ होना
तुम्हारा पास होना
जैसे जिंदगी का वजूद होना
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होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
जहर चुपके से दवा जानके खाया होगा
जग ने कुछ बातें ऐसी भी सुनाई होगी
अश्क आंखों ने पिए और ना बहाया होगा
बंद कमरे में जब उसने खुद को रुलाया होगा
तस्वीर को जब उसने मेरी जलाया होगा
एक एक जख्म जमीं पर उभर आया होगा
होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
मिलने के लिए आतुर जो रहती थी अंखियाँ
इस जग ने उन आंखों में अंगार जलाया होगा
तड़पाकर खुद को उसने दी होगी सजा
होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
सुन प्रेम की बात अरमां मचल आए होंगे
गम दिखावे की हसीं ने छुपाए होंगे
नाम पर मेरे जब आंसू निकल आए होंगे
सर ना कांधे से सहेली के उठाया होगा
होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा ।।— % &-
हमें इस बात का एहसास होना चाहिए,
गणतंत्र दिवस के पर्व का बखान होना चाहिए।
हर बच्चे और बूढ़े की जुबां पर हो जय हिंद,
हम है इस हिंद के वासी, इस बात का अभिमान होना चाहिए।
क्या पाया किसने दिलाया इस बात का नाज होना चाहिए,
कितने वीरों ने खेली होली खून की इस बात का ज्ञान होना चाहिए।
हर भारतवासी की जुबां से वंदे मातरम् की बौछार होनी चाहिए,
हम है इस हिंद के वासी, इस बात का अभिमान होना चाहिए ।
हर घड़ी इस बात का ध्यान रहना चाहिए,
जिनकी वजह से मिली आजादी उनका मान रहना चाहिए ।
जय रहे सदा भारत मां की ऐसा स्वर गान होना चाहिए,
हम है इस हिंद के वासी, इस बात का अभिमान होना चाहिए ।।-
अकेलेपन को हम उन लम्हों से ढंक पाते हैं
जिन लम्हों में हम खुद को अपने परिवार के साथ पाते हैं
अरे जनाब, आजकल के बच्चे उसको कैदखाना बताते हैं, चलो
आज हम आपको घर से दूर जाने का एहसास बताते है
अपनों से दूर होने के दर्द को किसी को ना बतलाते हैं
जब आती है अपनों की याद तो अश्रु की नदियां बहाते हैं
जब लगता है कभी डर तो कोई नहीं है कहकर खुद को समझाते है, चलो
आज हम आपको घर से दूर जाने का एहसास बताते है
गांव की वो मिट्टी और ताजी हवा को हम कहां महसूस कर पाते हैं
शहर वाली धुएँ और जिल्लत भरी जिंदगी में हम फंस कर रह जाते हैं
खुदको बनाने काबिल हम अपनों से दूर जाते है, चलो
आज हम आपको घर से दूर जाने का एहसास बताते है
मां की ममता और पिता के प्यार से खुद को बेगाना पाते हैं
आता है घर से फोन तो खुद को ठीक हूं बताते हैं
उसके पीछे छुपे अकेलेपन को हम कहां बता पाते हैं, चलो
आज हम आपको घर से दूर जाने का एहसास बताते हैं
कब आए हो से लेकर कब जाओगे तक के सफर को हम आपको सुनाते हैं
कैसी चल रही पढ़ाई और कब लगेगी नौकरी से आपको अवगत कराते है
कुछ भी हो जनाब फिर भी हम कुछ दिन खुशी से बिताते है, चलो
आज हम आपको घर से दूर जाने का एहसास बताते है-
Student diary.....
Offline सफर शुरू होने से पहले रुक गया ।
सोचा था क्या हमने और देखो क्या हो गया।।
देख थे जो सपने ips मे वो भी अब online हो गए ।
COVID का अगला अध्याय फिर हाहाकार मचाने आ गया ।।
जब तक मिले सबसे ,था सबको जाना ।
पर क्या पता था ,एक दम से हो जाएगा सब बेगाना ।।
घर की यादों के साथ कॉलेज की नई यादें जोड़ने लगे थे ।
परायों के बीच कुछ अपने मिलने लगे थे ।।
अब उनका क्या ही कहना, जिनको हमने दोस्त है माना ।
रहता है जिनका class के बीच लंच खाना ।।
Library के बहाने class से निकल जाना ।
मजाक मस्ती के बीच चलता रहता है पढ़ना और पढ़ाना।।
badmaashiyo में है सबसे आगे ।🤪
शक्तिमान भी इनसे डर के भागे।।।।😂
जिनको दिया हमने ,as teacher सम्मान है,
Ips की faculty में उनका बड़ा ही नाम है ।।
ऐसी faculty जो पढ़ाई के समय strict हो जाती है ,
पर मस्ती के समय students me student बन जाती है,
मिलेंगे फिर जल्द ही पर याद आप सबकी बहुत आएगी ।।
मिलते जुलते ही ये दो साल भी कट जायेगी ।।।।
Miss u all.....-
अभिनंदन नव वर्ष तुम्हारा
हे व्याकुल फिर जग सारा
नई डगर है नया सवेरा, खुशियों
से भर दो आंगन हमारा
अभिनंदन नव वर्ष तुम्हारा.....
ओस सुबह की फिर चमका दो
बिखरा दो तुम छटा निराली
चेहरे दमके बगियां महकी, रोज़
बने होली और दिवाली
खिलकर बिखरे फूल धरा पर
प्रतिबिंबित हो नभ-गगन हमारा
अभिनंदन नव वर्ष तुम्हारा.....
आसमान में नया उजाला
धीरज रखे है अग्नि ज्वाला
चरम सीमा है इसने पकड़ी, क्योंकि
बेरोजगारी की बढ़ती माला
नए स्वप्न दो नई उमंगे, कर पाएं हर सपने को सच
जो तुम थामो हाथ हमारा
अभिनंदन नव वर्ष तुम्हारा....-
जाते वर्ष की अंतिम कविता में,
मैं तुझे सुशोभित करता हूं ।
मिले तुझे जग की सारी खुशियां,
ईश्वर से यही प्रार्थना करता हूं ।।
क्या खोया क्या पाया उसको भूल जाओ तुम,
नूतन वर्ष के आते ही नए रंगों में डूब जाओ तुम।
दुख - दर्द बिषाद को पीछे छोड़,
नव वर्ष की उमंग उल्लासों से खुद को ओढ़ लेना तुम।।
मुक्त हो तुम मुझसे और मेरी कहानियों से,
फिर भी सदा रहोगी मेरी यह ध्यान देना तुम।
नहीं आएगा कोई भी संदेश मेरी तरफ से, लेकिन
तुम्हारे संदेश का इंतजार रहेगा जान लेना तुम ।।
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क्योंकि, जनाब वो लडकी है उसके लिए फैमिली की #priority सबसे पहले आती है ।
दिव्यांशी तोमर...
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मान रखो माँ बाप की इज्ज़त का कुछ बिगड ना जाएगा ।
भेजा है जिस काम को कर लिया तो कुछ रह ना जाएगा।।
रखे क्यों हो तुम उनको एक भ्रम में ।
मान जाओ कि जीवन के सब हिस्से है श्रम में ।।
शेष कविता अनुशीर्षक में पढ़े 👇👇
दिव्यांशी तोमर ✍️✍️-